धनबाद: धनबाद जिले के रहने वाले राजीव रंजन ने JPSC की प्रतिष्ठित परीक्षा में 15वीं रैंक प्राप्त कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। राजीव की सफलता केवल एक परीक्षा पास करने की कहानी नहीं, बल्कि यह उनके संघर्ष, पारिवारिक प्रेरणा और मातृभाषा खोरठा के प्रति समर्पण की मिसाल बन गई है।
राजीव ने अपनी प्रारंभिक नौकरी टाटा कंपनी में छोड़कर सिविल सेवा की राह चुनी। उनके पिता ऋषि महतो, एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं, जिनकी सोच थी कि बेटा सरकारी सेवा में जाकर समाज के लिए बेहतर काम कर सकेगा। राजीव ने बताया, “पिताजी हमेशा कहते थे कि प्राइवेट नौकरी सिर्फ परिवार तक सीमित होती है, लेकिन सरकारी सेवा से समाज को कुछ लौटाया जा सकता है।”
राजीव ने अपनी तैयारी के दौरान यूपीएससी, बीपीएससी और जेपीएससी तीनों परीक्षाओं की पढ़ाई की। जेपीएससी के प्रीलिम्स की तैयारी उन्होंने वीडियो लेक्चर्स व स्टडी मटेरियल्स से की, मेंस और इंटरव्यू की तैयारी के लिए रांची के एक कोचिंग संस्थान का सहारा लिया।
सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने जेपीएससी में वैकल्पिक विषय के रूप में खोरठा भाषा को चुना। इस पर बोलते हुए राजीव ने कहा, “हम खोरठा बोलते तो हैं, लेकिन पढ़ते और लिखते नहीं। जब तैयारी शुरू की, तो एक खोरठा के प्रतिष्ठित शिक्षक से मार्गदर्शन मिला, और यहीं से भाषा का गहरा अध्ययन शुरू हुआ।” उन्होंने अपील करते हुए कहा कि जैसे पंजाब में पंजाबी, बंगाल में बंगाली और बिहार में भोजपुरी का सम्मान होता है, वैसे ही झारखंड में भी *खोरठा, नागपुरी, कुरमाली, पंचपरगनिया जैसी भाषाओं को पढ़ाई-लिखाई और प्रशासनिक सेवाओं में अपनाना चाहिए।
राजीव की इस उपलब्धि से गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है। उनके परिवारजन, ग्रामीण और शुभचिंतक भावुक होकर उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं। दिवंगत पिता ऋषि महतो के सपनों को साकार करते हुए, राजीव ने न केवल अपने परिवार का बल्कि पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया है।
राजीव अब शिक्षा, स्वास्थ्य और आमदनी के क्षेत्र में समाज को सशक्त करने की दिशा में काम करना चाहते हैं। उनका सपना है कि झारखंड को विकासशील से विकसित राज्यों की श्रेणी में लाया जाए।
राजीव के शब्दों में:
“अगर हम अपनी भाषा, अपनी संस्कृति को साथ लेकर चलें, तो न केवल प्रशासनिक परीक्षा में सफल हो सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा दे सकते हैं।