रांची: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें एक पति को अग्रिम जमानत इस शर्त पर दी गई थी कि वह अपनी पत्नी के साथ फिर से वैवाहिक जीवन शुरू करेगा और गरिमापूर्ण व्यवहार करेगा। शीर्ष अदालत ने इस आदेश को क़ानून के अनुरूप नहीं माना और मामला झारखंड हाईकोर्ट को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 438(2) के तहत ऐसी कोई कानूनी व्यवस्था नहीं है, जिससे किसी को अग्रिम जमानत देने के लिए वैवाहिक पुनर्मिलन जैसी निजी शर्त लगाई जा सके।
क्या है मामला?
याचिकाकर्ता पति के खिलाफ उसकी पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद पति ने झारखंड हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार तो किया, लेकिन यह शर्त भी जोड़ दी कि वह अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक संबंध फिर से स्थापित करे और उसे गरिमा के साथ रखे।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
“पति-पत्नी के बीच पहले से ही दूरी है और वे अलग रह रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में इस प्रकार की शर्त लगाना आगे चलकर अधिक मुकदमेबाजी को जन्म दे सकता है।”
“अग्रिम जमानत केवल मामले की तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर दी जानी चाहिए, न कि भावनात्मक या सामाजिक दबाव में आकर ऐसी शर्तों के साथ।”
पीड़ित पति ने हाईकोर्ट की इस शर्त को अनुचित मानते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और पुनः विचार हेतु मामला वापस भेज दिया।
अमित प्रकाश जमानत याचिका:
रांची में शराब घोटाले से जुड़े मामले में आरोपी और झारखंड के पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश की जमानत याचिका पर सुनवाई शनिवार को एसीबी की विशेष अदालत में हुई। एसीबी ने केस डायरी के साथ जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अब अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।