रांची. झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में चल रहे 8 दिवसीय भारतीय भाषा और संस्कृति संबंधित सैमसंग के कोरियन सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के प्रशिक्षण के दौरान सभी प्रशिक्षुओं को बिरसा बाल विकास विद्यालय, होचर, रातु, रांची ले जाया गया। इस स्कूल में अधिकांशतः आदिवासी बच्चे पढ़ते हैं जिनके साथ सभी कोरियन प्रशिक्षुओं ने बातचीत किया और पूरा दिन बिताया। इस दौरे का उद्देश्य झारखंड के बच्चों की प्रतिभा, भाषा, कला और संस्कृति से रूबरू कराना था। इस दौरे के दौरान 12 कोरियन प्रशिक्षु और सीयूजे के 20 कोरियन भाषा के विद्यार्थी अपने प्रोफेसरों के नेतृत्व में पहुंचे।
टीम ने झारखंडी लोकनृत्यों को सिखा साथ ही नागपुरी गानों पर थिरके। स्कूल के बच्चों ने भी कोरियन गानों और नृत्य को सिखा। झारखंडी गानों जैसे, सुन्दर झारखंड, लाल पट सड़ीया, राउन्ड एंड राउन्ड और टंग टंग हुलू पर सभी थिरके। साथ ही कोरियन गाने एरिरंग रॉरिओ भी बजाया गया। सीयूजे के कोरियन भाषा के विद्यार्थियों के साथ सैमसंग के सभी इंजीनियरों ने भारतीय और कोरियन दोस्ती (समागम) संबंधित स्कूल के दीवार पर खूबसूरत चित्रकारी भी की। चित्र में इंडिया गेट, सियोल टॉवर, भारतीय और कोरियन सांस्कृतिक नृत्य और पारंपरिक भोजन को भी प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में विद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और सभी ने टीम के साथ खाना खाया। विद्यालय के लगभग 400 विद्यार्थी और प्रिंसिपल के नेतृत्व में 15 शिक्षक मौजूद थे।
टीम का नेतृत्व प्रोग्राम कॉर्डिनेटर, शशि कुमार मिश्रा, सहायक प्राध्यापक और कोरिया के प्रोफेसर द्वय प्रो. कोह ताई जिन और प्रो. ली ये यूंग ने किया। साथ में सीयूजे सुदूर पूर्व भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक, मुकेश कुमार जायसवाल और पवन कुमार भी थे। कोरियाई प्रो. कोह ताई जिन ने झारखंड की संस्कृति की सराहना की साथ ही इस पारस्परिक संबंध को और प्रगाढ़ बनाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि झारखंड के विद्यार्थी काफी प्रतिभावान हैं और सभी कोरियाई इंजीनियर इनसे मिलकर खुश हैं। एक दूसरे की संस्कृति को जानकर हम और करीब से एक दूसरे को समझ रहे।
गौरतलब है कि झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय और कोरिया की कंपनी सैमसंग के बीच समझौते के तहत भारतीय संस्कृति और हिन्दी भाषा को सीखने के लिए हर वर्ष कोरिया से सैमसंग के कर्मचारी सीयूजे आते हैं। इस वर्ष भी 14 सदस्यीय टीम रांची पहुंची है जिनकी 8 दिन के टेंडम क्लास के जरिए ट्रेनिंग चल रही है। अपने प्रवास के दौरान ये प्रशिक्षु झारखंड की आदिवासी परंपरा और संस्कृति से रुबरु हो रहे। इसके साथ ही झारखंड के प्राकृतिक सौंदर्य और खनिज संपदा से परिचित कराया जा रहा। हिंदी भाषा के ज्ञान के लिए हिंदी तकनीकी शब्दावली भी सिखायी जा रही है। यह टीम अभी पतरातु झील और बिरसा मुंडा के गांव खूंटी भी जाएगी। सभी छात्र विश्वविद्यालय के कोरियाई भाषा के छात्रों के साथ भी बातचीत कर रहे।