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Sunday, October 12, 2025
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 : पारदर्शी नामांकन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के निमित्त जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने तैयारी का लिया जायजा

सीतामढ़ी : बिहार विधानसभा चुनाव-2025 के तहत नामांकन प्रक्रिया को निष्पक्ष, पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने के निमित्त जिला प्रशासन द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई है। निर्वाचन आयोग की मार्गदर्शिका के अनुरूप प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में नामांकन प्रक्रिया सुचारु रूप से संचालित हो, इसके लिए जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी रिची पांडेय स्वयं लगातार निरीक्षण कर रहे हैं।DM ने RO से नामांकन से संबंधित समस्त तैयारी की जानकारी ली व आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जिलाधिकारी ने इस दौरान उन्होंने निर्वाची पदाधिकारियों (RO) से नामांकन से संबंधित समस्त तैयारी की जानकारी ली और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस क्रम में...

11 हजार वोल्ट के झूलते तार ने ली मजदूर की जान, बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप, ग्रामीणों में आक्रोश

Bokaro: बिजली विभाग की लापरवाही ने एक मजदूर की जान ले ली। यह दर्दनाक घटना चंदनकियारी–पुरुलिया हाइवे पर बरमसिया ओपी क्षेत्र के हुटूपाथर मोड़ के पास हुई। जहां झूलते 11 हजार वोल्ट के हाई वोल्टेज तार की चपेट में आने से एक मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई। मजदूर की मौके पर ही हुई मौत : मृतक की पहचान घाघरी गांव निवासी 43 वर्षीय घलटू महतो के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार घलटू महतो हाइवे किनारे स्थित एक घर के निर्माण कार्य में छत की शटरिंग के लिए लोहे की सरिया चढ़ा रहा था। तभी सरिया उपर...

दिवाली और छठ पूजा पर फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों में भारी भीड़, जानिए वेटिंग लिस्ट की स्थिति

Desk. दीपावली और छठ पूजा जैसे बड़े पर्वों को देखते हुए भारतीय रेलवे ने फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया है, ताकि घर लौट रहे यात्रियों को सहूलियत मिल सके। लेकिन हर साल की तरह इस बार भी ट्रेनों में टिकट बुकिंग को लेकर भारी मारामारी देखी जा रही है। खासकर, हरदोई होकर गुजरने वाली फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों में स्लीपर और एसी कोचों में वेटिंग लिस्ट इतनी लंबी है कि यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिलना बेहद मुश्किल हो गया है।05284 आनंद विहार टर्मिनल–मुजफ्फरपुर फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन स्लीपर क्लास वेटिंग16 अक्टूबर: 58 19 अक्टूबर: 111 23 अक्टूबर: 69 ...

कोडरमा: भारी बारिश के बाद तिलैया डैम के 8 फाटक खोले गए, बराकर नदी के किनारे बसे गांवों को अलर्ट

कोडरमा:  झारखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण तिलैया डैम का जलस्तर तेजी से बढ़ गया। देर रात शुक्रवार को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए डैम प्रबंधन ने तिलैया डैम के आठ फाटक खोल दिए। फाटक खुलते ही बराकर नदी की धार तेज हो गई, जिसके चलते नदी किनारे बसे इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बनने की आशंका जताई जा रही है।

तिलैया डैम से पानी छोड़े जाने के बाद कोडरमा जिला प्रशासन ने हजारीबाग, गिरिडीह, जामताड़ा और धनबाद जिले के प्रशासन को अलर्ट भेजा है। दरअसल, बराकर नदी इन सभी जिलों से होकर गुजरती है और डैम से छोड़ा गया पानी सीधे इन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।

तिलैया डैम के 8 फाटक खोले गए – प्रभावित गांवों को सतर्क रहने की अपील

प्रशासन ने खासकर बरी प्रखंड के तिलैया बस्ती, चंदा बीघा, बेला, नवाडी, करगयो, कुलवा, जय नगर प्रखंड के कांत बड़ा, उसे सहन, सुधा संग, कमाई, करियावा, धरीदी बीघा, मूर्तिया सहित कई गांवों के लोगों को सचेत रहने को कहा है। ग्रामीणों को हिदायत दी गई है कि वे नदी के किनारे या उसके आसपास न जाएं और अपने बच्चों तथा मवेशियों को भी नदी से दूर रखें।

तिलैया डैम के 8 फाटक खोले गए – प्रबंधन की आधिकारिक सूचना

डीबीसी डैम प्रबंधन ने सूचना जारी कर बताया कि शुक्रवार 22 अगस्त की रात 9 बजे ऊपरी गेट खोला गया। गेट खुलने के साथ ही नदी की जलधारा और तेज हो गई है। इस कारण नदी किनारे किसी भी प्रकार की गतिविधि करना खतरनाक हो सकता है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि बराकर नदी का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

प्रशासन ने शुरू की निगरानी

डैम से पानी छोड़े जाने के बाद प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है। संबंधित जिलों के आपदा प्रबंधन दल को सतर्क रहने को कहा गया है। राजस्व कर्मियों के साथ-साथ पुलिस-प्रशासन की टीमें भी अलर्ट मोड पर हैं। ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए माइकिंग और अन्य माध्यमों का सहारा लिया जा रहा है ताकि समय रहते लोग सुरक्षित स्थान पर जा सकें।

बराकर नदी से जुड़ी अहम जानकारी

तिलैया डैम बराकर नदी पर बना है और यह झारखंड का पहला बांध है, जिसे स्वतंत्रता के बाद 1953 में बनाया गया था। यह डैम कोडरमा के साथ-साथ आसपास के जिलों में सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए भी अहम माना जाता है। भारी बारिश की स्थिति में डैम से पानी छोड़ना मजबूरी होती है, ताकि बांध पर दबाव न बढ़े और वह सुरक्षित रह सके।

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