Friday, August 29, 2025

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झारखंड विधानसभा सत्र: दाढ़ी को रामगढ़ में शामिल करने और चैनपुर-कर्मा को प्रखंड बनाने की मांग पर विधायक तिवारी महतो का प्रदर्शन”

झारखंड विधानसभा में मांडू विधायक तिवारी महतो ने दाढ़ी को रामगढ़ में शामिल करने और चैनपुर-कर्मा को नया प्रखंड बनाने की मांग पर जोर दिया।


रांची: झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) के मानसून सत्र के आखिरी दिन मांडू विधायक तिवारी महतो (Tiwari Mahato) सदन के बाहर तख्ती लेकर बैठे। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि दाढ़ी प्रखंड (Daadi Block) को रामगढ़ जिला (Ramgarh District) में शामिल किया जाए और चैनपुर (Chainpur) एवं कर्मा (Karma) को नया प्रखंड (New Block) बनाया जाए।

झारखंड विधानसभा का आखिरी दिन: दाढ़ी प्रखंड को रामगढ़ में शामिल करने और चैनपुर-कर्मा को प्रखंड बनाने की मांग पर डटे विधायक तिवारी महतो
झारखंड विधानसभा का आखिरी दिन: दाढ़ी प्रखंड को रामगढ़ में शामिल करने और चैनपुर-कर्मा को प्रखंड बनाने की मांग पर डटे विधायक तिवारी महतो


 Key Highlights

  • मांडू विधायक तिवारी महतो ने सदन के बाहर किया प्रदर्शन

  • दाढ़ी प्रखंड को रामगढ़ जिले में शामिल करने की मांग

  • चैनपुर और कर्मा को नया प्रखंड बनाने की मांग दोहराई

  • विधानसभा सत्र को बताया हंगामे और तानाशाही का शिकार

  • छात्र संघ चुनाव खत्म करने और यूनिवर्सिटी बिल का विरोध


तिवारी महतो का कहना है कि दाढ़ी प्रखंड के लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए हजारीबाग तक 64 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, जबकि रामगढ़ महज 14 किलोमीटर की दूरी पर है। उन्होंने इसे जनता की बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि प्रशासनिक सुविधा और विकास को ध्यान में रखते हुए दाढ़ी को रामगढ़ जिला में शामिल करना आवश्यक है।

उन्होंने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में 41 पंचायतें हैं, लेकिन अब तक इसे प्रखंड का दर्जा नहीं मिला है। वहीं रामगढ़ जिले में कम पंचायतों वाले क्षेत्रों को प्रखंड का दर्जा दिया जा चुका है। ऐसे में सरकार को चैनपुर और कर्मा को अलग प्रखंड बनाना चाहिए।

सदन के कामकाज पर सवाल

विधायक ने कहा कि विधानसभा सत्र जनहित के मुद्दों की जगह हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्ष की आवाज को दबाया गया और जनता से जुड़े गंभीर विषयों पर चर्चा नहीं हुई। उन्होंने इसे सरकार की तानाशाही करार दिया।

छात्रों से जुड़े मुद्दे भी उठाए

तिवारी महतो ने हाल ही में लाए गए विश्वविद्यालय विधेयक (University Bill Jharkhand) और छात्रों के चुनाव (Student Union Election) खत्म करने का भी विरोध किया। उनका कहना था कि छात्रों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से वंचित किया जा रहा है और कुलपति की शक्तियों को कम करके शिक्षा व्यवस्था को राजनीतिक बनाया जा रहा है।

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