रांची. झारखंड में लंबित भूमि सर्वे कार्य को लेकर दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को कर्नाटक और केरल में लिए गए तकनीकी प्रशिक्षण की स्टेटस रिपोर्ट सौंपी।
यह जनहित याचिका प्रार्थी गोकुल चंद द्वारा दाखिल की गई थी, जिसमें मांग की गई है कि झारखंड के सभी जिलों में लैंड सर्वे तत्काल कराया जाए, ताकि भूमि हेराफेरी और फर्जीवाड़े पर रोक लगाई जा सके। झारखंड में आखिरी बार 1932 में जमीन का व्यापक सर्वेक्षण हुआ था। उसके बाद 1975 में एक बार फिर सर्वे शुरू हुआ, लेकिन यह कुछ ही जिलों में पूरा हो सका। राज्य के अधिकांश जिलों में आज भी लैंड सर्वे अधूरा है।
सरकार को झारखंड हाईकोर्ट का निर्देश
सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि सर्वे की गति बढ़ाने के लिए पुरानी तकनीक की जगह आधुनिक तकनीकी उपकरणों का प्रयोग किया जाए। अमीन और तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति शीघ्र की जाए। याचिकाकर्ता को भी राज्य सरकार द्वारा सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट की कॉपी उपलब्ध कराई जाए। वहीं राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सर्वे कार्य में दक्षता लाने के लिए कर्नाटक और केरल से तकनीकी प्रशिक्षण लिया गया है, और संबंधित टीम द्वारा की गई यात्रा की रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी गई है।
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