चिराग की वजह से चली जेडीयू की तीर ! एनडीए में बढ़ी लोजपा(आर) की हैसियत, जनता ने विकास को दिया प्राथमिकता
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में वोटर्स के मिजाज ने इस बार स्थिति बड़ी दिलचस्प बना दी है। जहाँ एक तरफ मुख्यमंत्री का ख्वाब देख रहे तेजस्वी को उनकी औकात बता दिया वहीं खुद को बड़े रणनीतिकार बताने वाले प्रशांत किशोर को भी हैसियत बता दी है। दरअसल जनता ने इस बार जात-पात के बहाने विकास को हासिये पर रखने वाले नेताओं को भी इस बार सोचने को मजबुर कर दिया कि अब उनकी दाल गलने वाली नहीं हैं। बेरोजगारी, बाढ़ और मुलभूत सुविधाओं के लिये तरसती जनता ने अपने बदले तेवर से नेताओं को सोचने पर मजबुर कर दिया कि सिर्फ विकास ही मुद्दा है और रहेगा।
नीतीश की चाल से विरोधी पस्त
यह सही है कि लगातार 20 सालों से सत्ता में नीतीश सरकार है और सरकार के द्वारा विकास कार्य को भी रफ्तार दिया गया है। जिसका असर भी दिखने लगा। चाहे अच्छी सड़क की बात हो, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की बात हो, बिजली या कानून व्यवस्था की बात हो हर तरफ बदलाव की बयार बह रही है। वहीं यह भी सही है कि नीतीश की लगाम थोड़ी ढीली हो गई है। नीतीश अपने पहले कार्यकाल वाले तेवर और ठसक में नहीं है। इस कमजोरी का असर दिख भी रहा है और जनता इससे नाराज भी दिख रही थी। इस वजह से चुनाव में एंटी इनकंबेंसी फैक्टर की संभावना भी दिख रही थी। नीतीश सरकार ने इसको भांपते हुये अंतिम समय में घोषणाओं की झड़ी लगा दी। उस पर से हरेक महिला को स्वरोजगार के नाम पर दस हजार की सौगात तुरूप का पत्ता साबित हुई और महिला ने झोली भर के एनडीए को वोट दिया। जिसका परिणाम सामने है।
पिछले चुनाव में चिराग पासवान की चाल से हुये थे चित
2020 के विधानसभा चुनावों में चिराग पासवान की पार्टी 243 में से सिर्फ 135 सीटों पर लड़ी थी और मात्र 1 सीट जीत सकी थी लेकिन, इसने जेडीयू के खिलाफ तो उम्मीदवार उतारे थे पर बीजेपी को कहीं भी चुनौती नहीं दी। नीतीश को पूरे पांच साल यह दर्द परेशान करता रहा कि चिराग की वजह से उन्हें बीजेपी के मुकाबले छोटी पार्टी बनकर भी मुख्यमंत्री का पद मिल गया है। हालांकि, इस बार एलजेपी (आर) एनडीए में है और नीतीश को इसका सबसे ज्यादा फायदा मिल रहा है। एनडीए ने 207 सीटों पर बढत बनाई है जिसमें बीजेपी 92,जेडीयू 84 और एलजेपीआर 21 सीटों बढत बनाये हुये है।
2020 में तीसरे नंबर पर रही थी जेडीयू
2020 में बीजेपी 110 सीटों पर लड़कर 74, जेडीयू 115 सीटों पर लड़ कर 43 सीटें जीती थी। हालांकि, फिर भी बीजेपी ने मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार को समर्थन दिया था। लेकिन, इस बार नीतीश की पार्टी अगर सबसे बड़ी पार्टी बन जाती है तो उनका वह दुख दूर हो सकता है और इसका श्रेय चिराग पासवान ले सकते हैं।
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