पटना : बिहार में महागठबंधन की राजनीतिक दुर्गति का सबसे बड़ा कारण विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) जैसे विकास-विरोधी, पिछलग्गू और अव्यवहारिक कदमों का अंधा विरोध था। जनता विकास चाहती है, बाधा नहीं, लेकिन महागठबंधन ने सिर्फ हर कदम पर रोक, भ्रम और नकारात्मक राजनीति का खेल खेला। परिणाम साफ हुआ बिहार की जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया।
ममता सरकार का यह रुख सिर्फ वोटबैंक बचाने की राजनीति है, न कि बंगाल के भविष्य की चिंता – BJP
बिहार की तरह ही बंगाल में भी वही तस्वीर दोहराई जा रही है। ममता सरकार ने भी एस-आई-आर का विरोध करके यह साबित कर दिया है कि वह विकास, निवेश, रोजगार और उद्योग के खिलाफ खड़ी है। जनता अब समझ चुकी है कि ममता सरकार का यह रुख सिर्फ वोटबैंक बचाने की राजनीति है, न कि बंगाल के भविष्य की चिंता। एसआईआर का विरोध ही बंगाल में ममता सरकार के पतन का सबसे बड़ा कारण बनेगा। क्योंकि जब देश आगे बढ़ रहा है, बंगाल को पीछे धकेलने वाली नीतियां जनता अब और नहीं सहेगी।
BJP ने कहा- ममता को युवाओं को रोजगार चाहिए, न कि विरोध की राजनीति
बीजेपी ने कहा कि ममता बनर्जी को युवाओं को रोजगार चाहिए, न कि विरोध की राजनीति। उद्योग लगाने पर रोक, निवेशकों को डराने वाली राजनीति और विकास को अवरुद्ध करने वाली सोच अब बंगाल की जनता बर्दाश्त करने वाली नहीं। जिस तरह बिहार में जनता ने नकारात्मक राजनीति को सबक सिखाया, उसी तरह बंगाल में भी इसका भारी जनविरोध सामने आ रहा है। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि जो सरकार विकास का विरोध करेगी, वह जनता के समर्थन के योग्य नहीं रहती।
‘ममता सरकार ने भी बिहार महागठबंधन की राह पकड़ ली है’
ममता सरकार ने भी बिहार महागठबंधन की राह पकड़ ली है। विरोध की राजनीति, भ्रम की राजनीति और विकास को रोकने की राजनीति। अब समय आ गया है बंगाल की जनता भी यह स्पष्ट संदेश देना चाहती है। बंगाल विकास चाहता है, एस-आई-आर का विरोध नहीं। बंगाल रोजगार चाहता है, रुकावट नहीं। बंगाल आगे बढ़ना चाहता है, पिछली सोच वाली सरकार नहीं। ममता सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई है। जैसे बिहार ने महागठबंधन को दिखाया रास्ता, बंगाल भी अब उसी राजनीतिक परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है।
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