देवघर : वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग के बाद बाबा बैद्यनाथ मंदिर के
पंडा ने वहां मंदिर बनाने की मांग की है. बैद्यनाथ मंदिर के पंडा की मानें तो
मुगलों के द्वारा मंदिर के अवशेष को नष्ट किया गया था.
साथ ही मंदिर की जगह मस्जिद बना दिया गया था.
उन्होंने कहा कि यहां जबरन मुस्लिम समुदाय के लोग फव्वारा बता रहे हैं.
वहीं कुछ पंडा ने बताया कि इसकी सघन जांच होनी चाहिए,
अगर शिवलिंग है तो इसे हिंदुओ को सौंप देना चाहिए. आपस में विवाद करना सही नहीं है.
मस्जिद के अंदर शिवलिंग का दावा
ज्ञानवापी मस्जिद को वाराणसी की एक अदालत के आदेश के बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने ज्ञानवापी मस्जिद का तीन दिन का सर्वे कराया. अब सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी जानी है, जिसके बाद कोर्ट किसी फैसले तक पहुंचेगा. हालांकि, हिंदू पक्ष का कहना है कि सर्वे के दौरान मस्जिद के अंदर शिवलिंग मिल गया है, जबकि मुस्लिम पक्ष इन दावों को खारिज कर रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कई दावे किए गए, जिसमें कहा गया कि 16वीं सदी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को गिराकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी.
औरंगजेब ने बनवाई मस्जिद
दरअसल 1991 में याचिकाकर्ता स्थानीय पुजारियों ने वाराणसी कोर्ट में एक याचिका दायर की. इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने ज्ञानवापी मस्जिद एरिया में पूजा करने की इजाजत मांगी थी. इस याचिका में कहा गया कि 16वीं सदी में औरंगजेब के आदेश पर काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने किया ये दावा
दरअसल काशी विश्वानाथ मंदिर का निर्माण मालवा राजघराने की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था. याचिकाकर्ताओं का दावा था कि औरंगजेब के आदेश पर मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई. उन्होंने दावा किया कि मस्जिद परिसर में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं और उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा की इजाजत दी जाए. हालांकि, 1991 के बाद से यह मुद्दा समय-समय पर उठता रहा, लेकिन कभी भी इसने इतना बड़ा रूप नहीं लिया, जितना इस समय है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी.