रांची : झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में JSSC परीक्षा में
दसवीं और बारहवीं राज्य के संस्थान से पास होने की शर्त के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि वह अपने स्टैंड पर कायम है.
इस दौरान प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने
अदालत से कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द से जल्द सुनवाई की जानी चाहिए.
क्योंकि राज्य सरकार की इस शर्त की वजह से बड़े पैमाने पर अभ्यर्थी नियुक्ति प्रक्रिया से वंचित हो गए हैं.
10 अगस्त को होगी सुनवाई
इस पर अदालत ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई के लिए 10 अगस्त की तिथि निर्धारित की है. बता दें कि इस संबंध में रमेश हांसदा सहित अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है याचिका में कहा गया है कि जेएसएससी की ओर से नियुक्ति नियमावली में यह शर्त लगाना पूरी तरह से गैर वाजिब है कि 10वीं और 12वीं की परीक्षा राज्य के संस्थान से पास होने वाले ही इस नियुक्ति में शामिल हो सकते हैं.
इसके अलावा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हिंदी और अंग्रेजी को हटा दिया गया है. वहीं, अन्य उर्दू, ओड़िया और बांग्ला भाषा को शामिल किया गया है. यह नियमावली संविधान की मूल भावना के विपरीत है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है. वैसे अभ्यर्थी, जो राज्य के निवासी होते हुए भी राज्य के बाहर से पढ़ें हो, उन्हें नियुक्ति परीक्षा से नहीं रोका जा सकता है, इसलिए नई नियमावली को निरस्त किया जाए.
रिपोर्ट: प्रोजेश दास