Ranchi-पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा- गुरुवार को झारखण्ड आंदोलनकारी नेता सह पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा
ने मोरहाबादी स्थित आवास पर पूर्व मंत्री बंधु तिर्की से मुलाकात की.
इस दौरान उन्होंने अपनी लिखी पुस्तक उपहार स्वरूप बंधु तिर्की को भेंट की.
झारखंड निर्माण में पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा का अभूतपूर्व योगदान

सुर्य सिंह बेसरा जहां एक संथाली साहित्य और झारखंड अलग राज के गठन की लड़ाई में अभूतपूर्व योगदान रहा है, वह झारखंड आन्दोलन के अग्रणी नेताओं में रहे हैं,
वहीं बंधु तिर्की ही वह नेता है जिन्होंने डोमिसाइल आंदोलन की नींव झारखंड में रखी थी.
मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने झारखंड की सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विषयों पर चर्चा की.
झारखंड में 1932 को अमलीजामा पहनाया जाने पर विचार विमर्श की.
वर्षों की मेहनत और संघर्ष का परिणाम है 1932 का खतियान
मुलाकात के बाद बंधु तिर्की ने कहा है कि वर्षों के संघर्ष और मेहनत का परिणाम है कि
1932 आधारित स्थानीय नीति लागू होने जा रही है.
हम सभी इसे बेहतर रूप में लागू करने के लिए कटिबद्ध रहेंगे.
जिससे झारखंड वासियों को उनका हक और अधिकार मिलेगा. उनके सम्मान की वापसी होगी.
आज इस विषय में झारखंड आंदोलनकारी नेता सूर्य सिंह बेसरा जी से घंटो चर्चा हुई है.
झारखंड की राजनीति और सामाजिक मुद्दों पर गहन चर्चा हुई.
यहां बतला दें कि 1392 का खतियान को लेकर पूर्व विधायक सूर्य सिंह काफी मुखर रहे हैं,
वह वर्षों तक इस मुद्दे पर आन्दोलन चलाते रहे हैं, झारखंड के बौद्धिक समूहों के बीच उनकी पहचान रही है.
1932 का खतियान और कई अन्य सामाजिक मुद्दों को लेकर वह कई बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आलोचना भी करते रहे हैं.
1932 का खतियान यानी फर्स्ट सेटलमेंट सर्वे- जयप्रकाश मिंज
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