जो भी लिफाफा आप खोलना चाहते हैं खोलिये, राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता आपके लिफाफा खोलने का इंतजार कर रही है. लेकिन एक बात समझ लीजिये, खतियान लागू होने के बाद ही एक भी भाजपा का नेता गांव में नहीं हेल नहीं पा रहा. इतने दिनों के शासन के बाद भी भाजपा झारखंड में आदिवासी-मूलवासियों को उसकी पहचान नहीं दिला सकी. एक लिफाफा ECI के तरफ से आया है दूसरा दिन दयाल उपाध्याय रोड से आया, किसको खोले, इसी कन्फ्यूजन में भाजपा है.
Ranchi- मिस्ड कॉल कर जनप्रतिनिधियों को सदस्य बना रही है भाजपा- जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य एक बार फिर से भाजपा पर बड़ा हमला बोला है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि भाजपा एक झूठ को सौ बार बोलकर सत्य साबित करने की कोशिश करती है, लेकिन जब वह फेल हो जाता है तब वह और भी जोर से उस झूठ को बोलने लगती है. यह वही पार्टी है जो मिस्ड कॉल के सहारे अपने आप को दुनिया का सबसे बड़ा पार्टी बताती है, लेकिन जैसे ही कोई कार्यकर्ता किसी मामले में फंसता है, यह दायित्व लेने से इंकार कर देती है, तब यह राग अलापने लगती है कि यह अधिकृत नहीं है. अब यह मिस्ड कॉल कर जनप्रतिनिधियों को सदस्य बता रही है. एक दिन फिर इसकी भी दशा यही होगी.
मिस्ड कॉल कर जनप्रतिनिधियों को सदस्य बना रही है भाजपा
सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा पर संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह इन संस्थाओं का उपयोग अपने टूल किट के रुप में कर रही है.
पिछले दिनों दीक्षांत समारोह में राज्य के राज्यपाल कहते हैं कि लिफाफा मेरे पास है, उसे कब खोलना है, यह मेरा संवैधानिक अधिकार है. बिल्कुल है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी फंस गयी है, अब चुनाव आयोग से दो दो लेटर आ चुका है. धर्म संकट है कि कौन वाला खोलें. भाजपा में हताशा का आलम यह है कि इसके प्रदेश अध्यक्ष ने खुद स्वीकार करने लगे हैं कि मेरे पास तो ED और CBI है, आपके पास क्या है. लेकिन वह भूल जाते हैं कि मेरे साथ राज्य की जनता है, उनका विश्वास और प्यार है. झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से बीजेपी डर गयी है, क्योंकि राजनीतिक विचारधारा उनके पास रह नहीं गयी है, यही कारण है कि उसे विधवा विलाप करना पड़ रहा है.
कोई भी लिफाफा खोलिये, साढ़े तीन करोड़ जनता इसका इंतजार कर रही
भाजपा को चुनौती देते हुए सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा
कि जो भी लिफाफा आप खोलना चाहते हैं खोलिये
.राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता आपके लिफाफा खोलने का इंतजार कर रही है.
लेकिन एक बात समझ लीजिये,
खतियान लागू होते ही एक भी भाजपा का नेता गांव में नहीं हेलेगा.
इतने दिनों के शासन के बाद भी भाजपा
झारखंड में आदिवासी मूलवासियों को उसकी पहचान नहीं दिला सकी.
एक लिफाफा ECI के तरफ से आया है
दूसरा दिन दयाल उपाध्याय रोड से आया इसी में कन्फ्यूजन है किसको खोले.