विभिन्न धाराओं में 5 मामले दर्ज
पटना : बक्सर कांड पर एडीजी मुख्यालय का बड़ा बयान आया है. एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा कि विभिन्न धाराओं में 5 मामले दर्ज किए गए हैं और सभी का अनुसंधान किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस मामले में अब तक 3 लोगों की गिरफ्तारी हो पाई है.
बक्सर कांड: असामाजिक तत्व की हो रही पहचान
ADG JS Gangwar ने कहा कि इस जांच के दौरान यह पता करने की कोशिश की जाएगी कि क्या असामाजिक तत्वों की यह देन है, और कौन-कौन से असामाजिक तत्व इसमें शामिल हैं. उनकी पहचान होगी और उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति के द्वारा आवेदन मिलता है तो उसकी भी जांच होगी. उसके बाद उस पर कार्रवाई होगी.

कई पुलिसकर्मियों पर हुई कार्रवाई
एडीजी मुख्यालय ने यह भी कहा कि कई पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हुई है हालांकि उसका विवरण उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में डीआईजी, जिलाधिकारी और एसपी घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं. सरकार के निर्देश अनुसार भारी संख्या में पुलिस फोर्स, दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति किया गया है. वरीय पदाधिकारियों के स्तर से नियंत्रण स्थिति का अनुसंधान किया जा रहा है.
बक्सर कांड: क्या है पूरा मामला
बता दें कि पूरा विवाद बक्सर के चौसा में बिहार सरकार के बन रहे पावर प्लांट को लेकर है. इस प्लांट के लिए करीब 1000 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है. किसानों का कहना है कि इन्हें साल 2013 के सरकारी दर पर मुआवजा दिया जा रहा है. इनकी मांग है कि नए रेट के हिसाब से मुआवजा मिलनी चाहिए. किसानों और प्रशासन के बीच कई राउंड की बातचीत भी हुई, मगर मामला नहीं सुलझा. नए मुआवजे को लेकर किसानों की ओर से लगातार प्रदर्शन जारी था. मंगलवार को उनका प्रदर्शन हिंसक हो गया. इसी का नतीजा है कि वहां हालात तनावपूर्ण हैं.
आक्रोशित किसानों ने दोषी पुलिसकर्मियों पर की कार्रवाई की मांग
घटना के बाद आक्रोशित किसानों ने दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इस दौरान कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. लाखों रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा. पुलिस ने किसानों पर जमकर लाठियां भांजी. जिसमें कई किसान चोटिल हो गए. किसानों की तरफ से भी रोड़ेबाजी की गई. स्थानीय पुलिस प्रशासन लोगों को समझाने के प्रयास में जुटी हुई है लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं हैं. किसानों का आरोप है कि थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए सरकार की उनकी जमीनें तो ले रही, लेकिन उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है.
रिपोर्ट: चंदन