रांची: पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रवींद्र राय के बीच का विवाद आखिरकार सुलझ गया है। पार्टी ने राय को गिरिडीह से चुनाव लड़ाने का आश्वासन देकर उनकी नाराजगी को शांत किया है। दरअसल, राजधनवार सीट से मरांडी के चुनाव लड़ने पर राय गिरिडीह से टिकट की मांग कर रहे थे।
गिरिडीह सीट से निर्भय शाहाबादी को टिकट देने की खबर ने राय को नाराज कर दिया था, जिससे उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही। इस पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने राय को समझाया और गिरिडीह से टिकट देने का विश्वास दिलाया। राय ने कहा, “जब पार्टी मुझे टिकट दे रही है, तो मैं निर्दलीय चुनाव क्यों लड़ूंगा?”
हालांकि, टिकट न मिलने पर राय के झामुमो में जाने की चर्चा भी थी, जिसे उन्होंने सोशल मीडिया पर खंडन किया और कहा कि वे भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता हैं।
इसी बीच, भाजपा के पूर्व विधायक राज पलिवार, धनबाद के पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल, और पूर्व मंत्री लुईस मरांडी भी टिकट को लेकर नाराज हैं। मधुपुर से गंगा नारायण सिंह को फिर से टिकट दिए जाने से पलिवार भड़क गए हैं। उन्होंने कहा, “देखिए, क्या होता है,” जबकि शेखर अग्रवाल ने टिकट न मिलने पर चुनाव लड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया।
दुमका से सुनील सोरेन को टिकट मिलने पर लुईस मरांडी भी नाराज हैं और झामुमो में जाने की संभावना जता रहे हैं। 2000 के चुनाव में राय राजधनवार सीट से जीतकर बाबूलाल मरांडी सरकार में मंत्री बने थे, लेकिन 2009 में वे चुनाव हार गए थे। 2014 में वे कोडरमा से सांसद बने, लेकिन 2019 में उनका टिकट काट दिया गया था।
इस सबके बीच पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सक्रियता दिखाई है ताकि अंततः सभी को संतुष्ट किया जा सके।