लगन हो तो उम्र और जिम्मेदारियां बाधा नहीं बनती : गया के एक गांव की बहू बनी अफसर

गया : गया के एक गांव की बहू बनी अफसर – बिहार के गया के एक गांव की बहू अफसर बन गई है। इस बहू ने यह साबित किया है कि यदि लगन हो तो उम्र और जिम्मेदारियां आड़े नहीं आती। बिहार के गया के कभी नक्सल प्रभावित रहे फतेहपुर प्रखंड के फतेहपुर बाजार की रहने वाली स्वाति सेठ बीपीएससी की परीक्षा में सफल हुई है और सहायक निदेशक सह जिला जनसंपर्क पदाधिकारी बनी है।

बहू बनी अफसर – शहर में पली-बढी, गांव की माटी ने दिलाई सफलता की राह

गया के फतेहपुर की रहने वाली स्वाति सेठ आज अफसर बनी है। शहर में पली-बढ़ी स्वाति को गांव की माटी में सफलता की राहे दिलाई है। जीवन के झंझावतों और शहर-गांव के बीच गांव की बहू की जिंदगी चलती रही। कोरोना काल के दौरान जब अपने ससुराल फतेहपुर में रह रही थी, तो उसी समय बीपीएससी के थ्रू फॉर्म भरने का मौका मिला। फार्म भरने के बाद यह गांव में ही ऑनलाइन पढ़ाई में जुट गई और फिर सफलता का मुकाम हासिल कर लिया। वर्ष 2023 में आए फाइनल रिजल्ट में बीपीएससी की परीक्षा में वह सफल रही और सहायक निदेशक सह जिला जनसंपर्क पदाधिकारी बनी।

बहू बनी अफसर – उम्र और कई बाधाओं को पीछे छोड़ती चली गई

स्वाति सेठ मूल रूप से गया के नई गोदाम की रहने वाली है। वर्ष 2013 में स्वाति की शादी फतेहपुर में सौरभ कुमार के साथ हुई थी। पति सौरभ कुमार का मुंबई में जॉब था। मुंबई में पति के जाॅब को लेकर वह कभी वहां तो कभी अपने ससुराल गया के फतेहपुर स्थित गांव आती-जाती रहती थी। कभी गांव तो कभी शहर के बीच एक पुत्र भी हुआ। उम्र भी बढ़ रही थी, कई तरह की बाधाओं के बीच कम उम्र के पुत्र की परवरिश के बीच कुछ कर गुजरने की तमन्ना स्वाति की कम नहीं हुई थी। यही वजह है कि 2022 में 36-37 वर्ष की उम्र में बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफल हुई।

बहू बनी अफसर – प्रतिष्ठित एवं चुनौतीपूर्ण कैरियर को अपनाना चाहती थी

स्वाति सेठ बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफल हुई है। इस पर वह बताती है कि सिविल सेवा एक प्रतिष्ठित एवं चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसमें अपने समाज के लिए कुछ करने का मौका मिलता है. वह समाज के लिए कुछ कर गुजारना चाहती है, तो अपने ससुराल के बहू-बेटियों को भी बढ़ाएंगी।

बहू बनी अफसर – पति करते रहे मोटिवेट, माता- पिता, सास -ससुर दोनों को देती है श्रेय

स्वाति सेठ बताती है कि हर किसी का जीवन संघर्ष के बीच गुजरता है। मेरा भी जीवन संघर्ष के बीच गुजर रहा था। माता-पिता की देखरेख में मास कम्युनिकेशन की मास्टर डिग्री लेने के बाद 2013 में उसकी शादी हो गई। 2013 में शादी होने के बावजूद वह फ्री लांसर काम करती रही। इस तरह उसे अपने माता-पिता सुनील कुमार और संगीता देवी के बाद मेरे पति सौरभ कुमार हमेशा मोटिवेट करते रहे। सास-ससुर पुष्पा देवी और जागेश्वर प्रसाद का भी साथ मिला और फिर उसने सफलता के मुकाम को चूमा। इसके लिए वह अपने परिवार का धन्यवाद करती है।

बहू बनी अफसर – इस तरह रहा करियर

स्वाति सेठ के पढ़ाई का कैरियर मैट्रिक की परीक्षा 2002 में पास की। 2004 में 12 वीं की परीक्षा पास की। 2008 में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद मास कम्युनिकेशन की डिग्री में मास्टर कोर्स किया। 2011 में मास कम्युनिकेशन की मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद वर्ष 2013 में शादी फतेहपुर गांव में सौरव कुमार के साथ हुई।

उम्र बाधा नहीं होती, पेरेंट्स को लड़कियों को पढ़ने का मौका देना चाहिए

जिम्मेदारियों के बोझ से दबी स्वाति सेठ ने 36-37 की उम्र में सफल होकर एक बड़ा मैसेज दिया है। वहीं, वह कहती है कि उम्र कोई पड़ाव या बाधा नहीं होती। पेरेंट्स को चाहिए कि वह लड़कियों को पढ़ने के लिए मौका दें। एज कोई फैक्टर नहीं होता है। लड़कियों का कोई भी सपना हो तो उसे पेरेंट्स पूरा करने का मौका जरूर दें, जिस तरह मेरे सपने थे वह मैंने पूरे किए। उसी तरह से हर लड़कियों को इस तरह का सपनों को पूरा करने का मौका मिलना चाहिए। शादी को कैरियर का ढलान नहीं समझना चाहिए।

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आशीष कुमार की रिपोर्ट

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