महाकुंभ भगदड़ हादसे को हथियार बना अखिलेश ने Yogi सरकार पर किए चुभने वाले सियासी वार

जनार्दन सिंह की रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क : महाकुंभ में भगदड़ हादसे को हथियार बना अखिलेश ने Yogi सरकार पर किए चुभने वाले सियासी वार। महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुए भगदड़ हादसे को जिस तीखे और धारदार अंदाज में मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश  यादव ने संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान लोकसभा में भाजपा पर Yogi सरकार के बहाने हमला बोला, उसने भाजपा के धुरंधरों एवं दिग्गजों को भी बगलें झांकने को मजबूर कर दिया।

सपा मुखिया के निशाने पर सीधे-सीधे Yogi सरकार ही रही। अखिलेश यादव ने सीधे Yogi सरकार पर गहरे चुभने वाले करार वार ही नहीं किए बल्कि ऐसे बिंधने वाले सवाल उठाए कि लोगों को बरबस ही उस पर यकीन होने लगा।

सदन में सपा के मुखिया ने हलफ उठाते हुए यहां तक कहा कि अगर उनकी बातें झूठीं हो तो वे इस्तीफा तक देने को तैयार हैं। अखिलेश यादव के इस चुनौतीपूर्ण सियासी हमले के मायने काफी गूढ़ हैं और सियासतदां इसे बखूबी महसूस भी करने लगे हैं।

काफी मारक रहे अखिलेश यादव के दागे गए सियासी गोले

सपा मुखिया ने विधायकी छोड़ सांसदी चुनी तो मायने निकाले जाने लगे कि वह दिल्ली की सियासत करेंगे लेकिन मंगलवार को संसद में अखिलेश यादव के तेवरों ने साफ कर दिया है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता जिस यूपी से होकर जाता है, उसी यूपी की सियासत में अपनी मजबूत पैठ बनाने में वह नए कद्दावर सियासी हस्ती बन चले हैं। मंगलवार को लोकसभा में अखिलेश यादव ने जिस तरह महाकुंभ में हुए भगदड़ हादसे के मुद्दे को सियासी हथियार बनाकर यूपी की Yogi सरकार पर निशाना साधते हुए चुन-चुनकर नपे-तुले बिंधने वाले शब्दों में हमला बोला, वह किसी सियासी सर्जिकल स्ट्राइक से कम नहीं रहा।

बता दें कि Yogi सरकार के कार्यकाल में महाकुंभ 2025 सबसे बड़ा हिंदू धार्मिक आयोजन है, जिसके लिए भाजपा और Yogi सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी। भव्य-दिव्य महाकुंभ 2025 को सफल बनाने के लिए जमकर प्रचार प्रसार भी सरकार के द्वारा किया गया, लेकिन बीते मौनी अमवस्या पर महाकुंभ 2025 के दूसरे अमृत स्नान के दौरान मची भगदड़ ने सारे किए धरे पर पानी फेर दिया। उस हादसे ने Yogi सरकार पर सियासी हमले की ताक में बैठे विपक्ष को मानों हमला बोलने का अचूक हथियार दे दिया।

यूपी की सियासत में मुख्य विपक्ष की भूमिका में सपा है और सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने इस मौके को जाया नहीं जाने दिया। हादसे से पहले संगम में आस्था की डुबकी लगाने वाले यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ में मची भगदड़ के मुद्दे पर ही Yogi सरकार को केवल घेरा भर नहीं बल्कि मरने वालों के आंकड़ा छिपाने को लेकर सियासी मिसाइल दागे।

अखिलेश यादव ने मंगलवार को खुलकर लोकसभा में कहा कि – …हमारा आपसे अनुरोध है, जहां सरकार बजट के आंकड़े दे रही है, जब अभिभाषण पढ़ा है, सरकार ने बहुत आंकड़े दिए हैं, आंकड़े देने से पहले महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े भी दे दें। …सरकार लगातार बजट के आंकड़े दे रही है, लेकिन उन्हें महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े भी देने चाहिए।

मेरी मांग है कि महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर स्पष्टीकरण के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए। महाकुंभ आपदा प्रबंधन और खोया-पाया केंद्र की जिम्मेदारी सेना को दी जाए। …महाकुंभ हादसे में हुई मौतों, घायलों के इलाज, दवाइयों, डॉक्टरों, भोजन, पानी, परिवहन की उपलब्धता के आंकड़े संसद में पेश किए जाएं। महाकुंभ त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई हो और सच्चाई छिपाने वालों को सजा मिले।

….हम डबल इंजन की सरकार से पूछते हैं कि अगर कोई दोष नहीं था तो आंकड़े क्यों दबाए गए, छिपाए गए और मिटाए गए ? बल इंजन की सरकार ने हादसे के पीड़ितों के आंकड़े छिपाए हैं। महाकुंभ में हुए हादसे के आंकड़े दबाए और छिपाए क्यों गए? …महाकुंभ में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों का सही आंकड़ा दिया जाए। आंकड़े छिपाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई हो।’

मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ हादसे पर बोलते हुए अखिलेश यादव।
मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ हादसे पर बोलते हुए अखिलेश यादव।

अखिलेश यादव बोले – महाकुंभ हादसे के दिन टूटी सनातन परंपरा…

मंगलवार को लोकसभा में सपा मुखिया अखिलेश यादव मानों अपने सियासी तरकश में भाजपा और Yogi सरकार को सीधे बिंधने वाले शब्दों के तीर का जखीरा लेकर पहुंचे थे। भाजपा और Yogi सरकार के हिंदुत्व वाले एजेंडे पर ही अखिलेश यादव ने सियासी गोला दाग दिया। Yogi सरकार खुद को सनातन हितों की परंपरा को सर्वपरि रखने का दावा करती रही है जबकि मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ हादसे का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव ने उसी सनातन परंपरा को तोड़ने का आरोप Yogi सरकार पर सीधे तौर पर लगाया है। ऐसा करके सपा मुखिया ने यह बताने की बखूबी अपना सियासी प्रयास किया है कि भाजपा सरकार सनातन परंपरा की बात करती है, लेकिन उसकी सुरक्षा नहीं कर पाई।

लोकसभा में अपने भाषण में अखिलेश यादव ने कहा कि – ‘…सरकार मृतकों के आंकड़े नहीं दे पाई। बच्चों के आंकड़े तो नदारद हैं।  खोया-पाया केंद्रों पर लोग अपनों को खोज रहे हैं। महाकुंभ में लोगों ने अपनों को खोया। कुंभ का आयोजन कोई पहली बार नहीं हुआ है। समय समय पर जिसकी भी सरकारें रही हैं, इसका आयोजन करती रही हैं।

डिजिटल कुंभ कराने वाले मृतकों के आंकड़े तक नहीं दे पा रहे। लाशें कहां फेंकी गईं, बताया जाना चाहिए। …मुख्यमंत्री ने मृतकों को श्रद्धांजलि तक नहीं दी। वे घटना को छिपाने में लगे हैं। कुंभ लोग पुण्य कमाने आए थे, लेकिन वो अपनों के शव लेकर गए।

…महाकुंभ में हादसे के दिन शाही स्नान वक्त पर नहीं हो पाया। शाही स्नान का एक मुहूर्त होता है, ये सनातन परंपरा रही है। यह परंपरा उस दिन टूटी है। 

…योगी सरकार ने शाही स्नान रद्द करने का पहले आदेश दिया। जब हंगामा हुआ तो फिर शाही स्नान का आदेश दिया। सरकार ने अपने मनमाने समय से से स्नान कराने का आदेश दिया।’ 

मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ हादसे पर बोलते हुए अखिलेश यादव।
मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ हादसे पर बोलते हुए अखिलेश यादव।

महाकुंंभ भगदड़ हादसों पर अपनी बातें झूठ होने पर अखिलेश ने दी इस्तीफे की चुनौती…

महाकुंभ भगदड़ हादसे पर मंगलवार को सपा मुखिया का लोकसभा में भाषण जनभावनाओं से सीधे सरोकार वाला था। इस कारण अपने इस भाषण से अचानक महाकुंभ भगदड़ मसले पर अपने सियासी तीरों के लिए अखिलेश यादव तुरंत चर्चा में आए। अखिलेश यादव ने लोकसभा में आगे कहा कि – ‘…महाकुंभ का इतना प्रचार किया गया, लेकिन तैयारी और इंतजाम वैसे नहीं किए गए। कहा गया कि 144 साल बाद ये कुंभ आया है। कहा गया कि सौ करोड़ लोगों की व्यवस्था है।

…अगर ये बात सही नहीं है जो मैं कह रहा हूं तो फिर सदन की सदस्यता से इस्तीफा देने को तैयार हूं। …महिलाओं के कपड़े, लोगों की चप्पलें जो वहां पड़ी थीं, उन्हें जेसीबी से उठाकर ट्रैक्टर की ट्रॉलियों से हटाया गया। सरकार बताए कि शव कहां फेंके गए ?

शव पड़े हुए थे और भगदड़ के बाद हेलीकॉप्टर से फूल भी बरसाए गए। भगदड़ से जुड़ी खबरों को बाहर नहीं आने दिया जा रहा है। यूपी के मुख्यमंत्री ने मृतकों के प्रति संवेदना भी जाहिर नहीं की। कहीं ऐसा तो नहीं सरकार के डबल इंजन आपस में टकरा रहे हों ? अब तो खबरें हम ऐसा पढ़ते हैं कि न सिर्फ टकरा रही हैं बल्कि डब्बे भी टकराने लगे हैं। …सुना है क्योंकि दिल्ली में चुनाव है।

आप नया इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की बात करते हैं। 2022 के चुनाव से पहले बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे बना था। पीएम मोदी ने उद्घाटन किया, पानी बरस गया और एक्सप्रेसवे बह गया। आज भी मेंटेनेंस चल रहा है। आजकल जो गाड़ियां चल रही हैं, अपनी रफ्तार से चलें तो पेट या कमर का दर्द होगा। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे अब तक नहीं बना। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जहां तक हम करके गए थे, वहीं तक रह गया। गंगा एक्सप्रेसवे को लेकर कहा गया कि कुंभ से पहले बन जाएगा और अब लगता है कि अगले कुंभ तक बनेगा।

यूपी में एक भी एक्सप्रेसवे नहीं दिया। प्रधानमंत्री को तीसरा मौका यूपी ने दिया है। बनारस को क्योटा बनाने की बात की गई थी, लेकिन आजतक मैट्रो नहीं बन सकी है। यूपी मे हमारी सरकार के दौरान जितना मेट्रो का काम हुआ है, उससे इंच भी ज्यादा काम नहीं किया। वाराणसी में अभी तक मेट्रो का काम नहीं हुआ’। 

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