National : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सभी एससी और एसटी (SC-ST) अपने सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक दर्जे के हिसाब से समरूप नहीं हो सकती, कोर्ट इसका परीक्षण कर रहा है कि क्या राज्य कोटा के अंदर कोटा देने के लिए एससी और एसटी को उप-वगीकृत कर सकते हैं.
सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने 23 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, वे (एससी और एसटी) एक निश्चित उद्देश्य के लिए एक वर्ग हो सकते हैं, लेकिन, वे सभी उद्देश्यों के लिए एक वर्ग नहीं हो सकते हैं.
शीर्ष अदालत ‘इवी चिन्नैया बनाम ऑध्र प्रदेश राज्य’ मामले में 2004 के पांच जजों की संविधान पीठ के फैसले पर फिर से विचार करने के संदर्भ में सुनवाई कर रही है, जिसमें यह कहा गया था कि एससी और एसटी समरूप समूह हैं.
एससी-एसटी (SC-ST) की सभी जातियां सामाजिक रूप से समान नहीं हैं
फैसले के मुताबिक, यही कारण है कि राज्य इन समूहों में अधिक वंचित और कमजोर जातियों को कोटा के अंदर कोटा देने के लिए एससी और एसटी (SC-ST) के अंदर वर्गीकरण पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं, केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चिन्नैवा फैसले के निष्कर्षों का विरोध किया और कहा कि यह राज्य को आरक्षण के क्षेत्र को उचित रूप से उप-वर्गीकृत करके उचित नीति तैयार करने से रोकता है और अवसर की समानता की संवैधानिक गारंटी को कम करता है.