रांची: झारखंड का कुख्यात अपराधी अमन साहू राज्य में संगठित अपराध का एक बड़ा चेहरा था। माओवादी संगठन से अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले अमन ने धीरे-धीरे अपना खुद का गैंग बना लिया। 2013 में अपने आपराधिक सफर की शुरुआत करने के बाद उसने झारखंड और पड़ोसी राज्यों में आतंक का माहौल बना दिया। कोयला व्यापार, रंगदारी, हत्या और फिरौती के मामलों में उसका नाम सबसे ऊपर आता था।
अमन साहू का नेटवर्क सिर्फ झारखंड तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका विस्तार अंतरराष्ट्रीय स्तर तक था। बताया जाता है कि कनाडा और मलेशिया में बैठे कुछ लोग उसके गैंग का संचालन कर रहे थे। वह कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से भी जुड़ा हुआ था और उसे अपराधियों की आपूर्ति करता था। बदले में उसे अत्याधुनिक हथियार मिलते थे।
उसके खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज थे, जिनमें कई व्यवसायियों, ट्रांसपोर्टरों और बिल्डरों से रंगदारी मांगने के गंभीर आरोप शामिल थे। झारखंड में उसके गिरोह ने कई गोलीबारी और हत्या की घटनाओं को अंजाम दिया था। राज्य में संगठित अपराध के विस्तार और पुलिस के लिए बढ़ती चुनौतियों के पीछे अमन साहू का नाम प्रमुखता से लिया जाता रहा है।
झारखंड पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां लंबे समय से उसके नेटवर्क को खत्म करने की कोशिश कर रही थीं। अमन साहू की आपराधिक गतिविधियों ने न केवल झारखंड बल्कि आसपास के राज्यों में भी कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दिया था।
अपराध की दुनिया में अमन साहू का दबदबा
अमन साहू झारखंड के सबसे खतरनाक अपराधियों में से एक था। वह मूल रूप से रांची जिले के मतबे गांव का रहने वाला था। शुरुआती दिनों में वह एक हार्डकोर माओवादी के रूप में सक्रिय था, लेकिन 2013 में उसने अपना अलग गैंग बना लिया।
उसका गैंग मुख्य रूप से रंगदारी, हत्या, फिरौती और कोयला कारोबार से जुड़े अपराधों में संलिप्त था। झारखंड के कई बड़े व्यवसायी, ट्रांसपोर्टर और कोयला कारोबारी उसके निशाने पर रहते थे। उसके खिलाफ 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे।
अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और गैंगस्टर गठजोड़
अमन साहू का आपराधिक नेटवर्क झारखंड से बाहर कई देशों तक फैला हुआ था। बताया जाता है कि उसका फेसबुक अकाउंट कनाडा से अमन सिंह नामक व्यक्ति ऑपरेट करता था, जबकि मलेशिया में रहने वाला सुनील राणा भी उसके ऑनलाइन नेटवर्क का हिस्सा था।
वह कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का करीबी माना जाता था। कहा जाता है कि वह बिश्नोई को अपराधियों की सप्लाई करता था और बदले में अत्याधुनिक हथियार प्राप्त करता था। इस गठजोड़ में राजस्थान का सुनील मीणा अहम भूमिका निभाता था, जो इस समय अजरबैजान पुलिस की हिरासत में है और उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जारी है।
अमन साहू गिरोह के बड़े आपराधिक मामले
- 07 मार्च 2025: रांची में कोयला कारोबारी विपिन मिश्रा पर गोलीबारी।
- 06 अप्रैल 2024: बर्बरीक कंपनी को झारखंड में काम करने से रोकने की धमकी।
- 21 मार्च 2024: रांची के जमीन कारोबारी से 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी।
- 01 दिसंबर 2023: रामगढ़ के कुजू में ट्रांसपोर्ट कार्यालय के बाहर फायरिंग।
- 07 जुलाई 2023: रांची के अरगोड़ा में कोयला कारोबारी रंजीत गुप्ता को गोली मारी।
- 09 जुलाई 2023: लातेहार में ट्रांसपोर्टर अमित सिंह से रंगदारी मांगी।
- 09 मई 2023: हजारीबाग के बड़कागांव में ऋत्विक कंपनी के प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर शरत कुमार की हत्या।
- 27 मार्च 2023: देवघर के राय एंड कंपनी चौक पर हरदेव कंस्ट्रक्शन के कार्यालय में फायरिंग।
- 18 फरवरी 2023: शिवपुर रेल लाइन निर्माण कार्य कर रही कंपनी की साइट पर गोलीबारी।
झारखंड में संगठित अपराध का प्रभाव
अमन साहू का नाम झारखंड में संगठित अपराध से जुड़ी कई वारदातों में सामने आता था। उसकी धमक पूरे राज्य में थी और उसका गिरोह लगातार आपराधिक गतिविधियों में लिप्त था।
झारखंड पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां लंबे समय से इस गैंग के नेटवर्क को खत्म करने की कोशिश कर रही थीं। उसके अपराधों ने झारखंड में कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी थी।
अमन साहू के अपराधों का असर
अमन साहू का आतंक सिर्फ झारखंड तक सीमित नहीं था। उसके गिरोह की गतिविधियां पड़ोसी राज्यों तक भी फैली हुई थीं। कोयला कारोबार, ट्रांसपोर्ट और रियल एस्टेट सेक्टर में उसका दखल काफी गहरा था। उसके गिरोह के निशाने पर कई बड़े व्यवसायी और राजनेता भी थे।
झारखंड में अपराध की दुनिया में अमन साहू का नाम हमेशा चर्चा में रहा है। उसकी आपराधिक गतिविधियों ने झारखंड के कानून-व्यवस्था को कई बार चुनौती दी।