Arvind Kejriwal को 104 दिनों बाद आज जेल से होंगे रिहा, मिली जमानत, Supreme टिप्पणी – पिंजरे में बंद तोते की छवि से मुक्त हो CBI

Arvind Kejriwal

डिजीटल डेस्क : Arvind Kejriwal को 104 दिनों बाद आज जेल से होंगे रिहा, मिली जमानत, Supreme टिप्पणी – पिंजरे में बंद तोते की छवि से मुक्त हो CBI। Supreme Court से आबकारी नीति घोटाले मामले में CBI मामले में दिल्ली के CM Arvind Kejriwal को जमानत मिल गई है।

शुक्रवार को Supreme कोर्ट ने दो याचिकाओं पर फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आबकारी नीति भ्रष्टाचार मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल को नियमित जमानत देने का फैसला सुनाया और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने उनके फैसले पर सहमति जताई।

Arvind Kejriwal: शराब नीति केस में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

Supreme कोर्ट ने Arvind Kejriwal को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी। Supreme कोर्ट ने जमानत देने के क्रम में पर तल्ख टिप्पणी की कि CBI पिंजरे में बंद तोते की छवि से मुक्त होकर काम करे।

ED मामले में केजरीवाल को Supreme कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी और अब CBI मामले में जमानत मिली है। ऐसे में 104 दिन बाद अब उनके आज ही जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। गत 2 जून को अंतरिम जमानत की मियाद पूरी होने के बाद सरेंडर किया था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत बोले – अपीलकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं थी

CBI की गिरफ्तारी से जुड़ी याचिका पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि ‘अपीलकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं थी। CM Arvind Kejriwal ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और जमानत से दिल्ली हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।

पीठ ने 5 सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। CBI ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि तर्कों के आधार पर हमने 3 प्रश्न तैयार किए हैं। क्या गिरफ्तारी अवैधता थी? क्या अपीलकर्ता को नियमित जमानत दी जानी चाहिए? क्या आरोप पत्र दाखिल करना परिस्थितियों में इतना बदलाव है कि उसे ट्रायल कोर्ट में भेजा जा सके? उन्होंने आगे कहा कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करना कोई गलत बात नहीं है।

हमने पाया है कि सीबीआई ने अपने आवेदन में उन कारणों को बताया है कि उन्हें क्यों ये जरूरी लगा। धारा 41ए  का कोई उल्लंघन नहीं है। हमें इस तर्क में कोई दम नहीं लगता कि सीबीआई ने धारा 41ए सीआरपीसी का अनुपालन नहीं किया’।

Supreme टिप्पणी – पिंजरे में बंद तोता नहीं है CBI, वह इससे मुक्त हो

दिल्ली के CM Arvind Kejriwal को जमानत देते वक्त Supreme कोर्ट के न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने CBI को लेकर तल्ख टिप्पणी की। न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने कहा कि CBI को पिंजरे में बंद तोते की छवि से मुक्त होना चाहिए। CBI को दिखाना होगा, वो पिंजरे में बंद तोता नहीं है और वह इससे मुक्त है।

न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने ये भी कहा कि ये धारणा बदलना चाहिए कि निष्पक्ष जांच नहीं हुई। जमानत पर न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने तो सहमति जताई लेकिन CBI की गिरफ्तारी पर उन्होंने सवाल उठा दिया। यह सवाल उन्होंने गिरफ्तारी की टाइमिंग पर उठाया।

न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने कहा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता और समय पर मेरा एक निश्चित दृष्टिकोण है। इसलिए मैं इस दृष्टिकोण से सहमत हूं कि अपीलकर्ता (Arvind Kejriwal) को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

ऐसा प्रतीत होता है कि ED मामले में अपीलकर्ता को नियमित जमानत दिए जाने के बाद ही CBI सक्रिय हुई और हिरासत की मांग की। इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी पर गंभीर प्रश्न उठाती है। जहां तक गिरफ्तारी के आधारों का सवाल है तो ये गिरफ्तारी की आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं।

CBI गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहरा सकती है और टालमटोल वाले जवाबों का हवाला देते हुए हिरासत जारी रख सकती है। आरोपी को दोषपूर्ण बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

इन आधारों पर अपीलकर्ता को हिरासत में रखना न्याय का उपहास है, खासकर तब जब उसे अधिक कठोर PMLA में जमानत दी गई है। CBI एक प्राथमिक जांच एजेंसी है और ऐसा कोई संकेत नहीं जाना चाहिए कि CBI पिंजरे में बंद तोता है।

Supreme शर्त – Arvind Kejriwal नहीं जा सकेंगे CM ऑफिस, सरकारी फाइलों पर नहीं करेंगे साइन

CM Arvind Kejriwal को जमानत देने का फैसला सुनाते हुए पीठ ने कहा कि ‘जमानत पर हमने विचार किया है। मुद्दा स्वतंत्रता का है। लंबे समय तक कारावास आजादी से अन्याय के बराबर है। फिलहाल हमे लगता है कि केस का नतीजा जल्द निकलने की संभावना नहीं है।

सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ को लेकर अभियोजन पक्ष की आशंकाओं पर विचार किया गया। उन्हें खारिज करते हुए हमने निष्कर्ष निकाला है कि अपीलकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए। अपीलकर्ता मामले के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेगा।

ED मामले में लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। वह ट्रायल कोर्ट के साथ पूरा सहयोग करेगा। Arvind Kejriwal को 10 लाख का बॉन्ड भरना होगा, CM ऑफिस नहीं जा सकेंगे और सरकारी फाइलों पर साइन नहीं करेंगे’।

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