डिजीटल डेस्क : Ratan Tata के निधन की सूचना मिलते ही 10 मिनट में जाग उठा सो रहा जमशेदपुर, पंडालों में पसरी मायूसी। बीती रात यानी गत बुधवार की रात करीब साढ़े 11 बजे देश के मशहूर उद्योगपति Ratan Tata के निधन की खबर ने पलक झपकते ही झारखंड के शहर जमशेदपुर की रौनक को एक झटके में उड़ा दिया।
खबर फैलते ही शहर में बने दुर्गा पंडालों की लाईटें बंद कर दी गईं। भक्तों की भीड़ भी तुरंत छंटने लगी। शहर के जो लोग सो चुके थे वे भी जाग गए।
अचानक से पूरे शहर का माहौल बदल गया। Ratan Tata के निधन की खबर से जमशेदपुर में मायूसी छा गई। देर तक लोग एक दूसरे से खबर की पुष्टि करते रहे।
अपने ‘रतन’ Ratan Tata के ना रहने की सूचना पर व्याकुल-विह्वल हुआ जमदेशपुर
जमशेदपुर से जितना प्यार रतन टाटा को था उतनी ही चाहत शहर के लोग उनसे करते हैं। शारदीय नवरात्र के मौके पर झारखंड का जमशेदपुर शहर नवरात्र के जश्न में डूबा हुआ था। जगह-जगह सजे रोशनी से दुर्गा पंडालों में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई थी। माता के भजनों से वातावरण भक्तिमय बना हुआ था। पंडालों में लोगों की भीड़ के आने-जाने का सिलसिला जारी था।
तभी रतन टाटा के दिवंगत होने की सूचना तेजी से फैली। रतन टाटा के निधन की खबर जब रात में जमशेदपुर पहुंची तो माहौल गमगीन हो गया। शहर में स्थित टाटा ग्रुप की फैक्ट्रियों में नाइट शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारी मायूस हो गए। पहले लोगों को इस खबर पर भरोसा नहीं हुआ। वे एक-दूसरे से पुष्टि करते नजर आए।
टाटा ग्रुप में काम करने वाले कर्मचारी फोन से अपने परिवार और परिचतों को खबर देने लगे और तुरंत सोशल मीडिया पर श्रद्धांजली देने का सिलसिला शुरू हो गया।
खबर फैलते ही नवरात्र पर शहर के बिष्टुपुर पूजा पंडाल, सर्किट हाउस पंडाल सूना हो गया। मेला घूम रहे कर्मचारी घर वापस आ गए। गुरुवार की सुबह से लोग रतन टाटा के निधन की चर्चा करते नजर आ रहे हैं। लोगों में Ratan Tata के न रहने को लेकर काफी व्याकुलता देखी जा रही हैं। कई लोग तो उन्हें याद करके ही विह्वल हो जा रहे हैं।
1907 में हुई जमशेदपुर की स्थापना, यहीं शुरू हुआ रतन टाटा का करियर
जमशेदपुर शहर की स्थापना टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा ने 1907 को की थी। शहर में टाटा कंपनी की कई उत्पादक इकाई लगाई गईं। यहां हजारों वर्कर्स काम करते हैं।
उद्योगपति Ratan Tata का जन्म मुंबई में हुआ था, लेकिन वह जमशेदपुर को अपना दूसरा घर मानते थे। वर्ष 1962 में ग्रेजुएट होने के बाद रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत जमशेदपुर से ही की थी। उन्होंने यहीं टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी में 6 महीने की ट्रेनिंग ली थी।
Ratan Tata जमेशदपुर में आते रहते थे। आखिरी बार वह 3 मार्च 2021 में जमशेदपुर के स्थापना दिवस पर यहां आए थे। Ratan Tata ने जमशेदपुर और यहां के नागरिकों की सुविधाओं के लिए कई काम किए।
Ratan Tata बोर्ड की मीटिंग में जमशेदपुर शहर के ग्रीनरी एरिया के साथ सुंदरता बढ़ाने का प्रयास किया करते थे। जमशेदपुर की साफ-सफाई को लेकर इसे कई बार भारत का सबसे स्वच्छ शहर चुना गया।
दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में ‘रतन’ ने फैलाया टाटा के कारोबार का साम्राज्य
देश के अनमोल रत्न रहे रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को उस मुकाम तक पहुंचाया जो किसी भी कंपनी का सपना होता है। उन्होंने टाटा ग्रुप की जिस भी कंपनी में हाथ लगाया वो माटी से सोना बन गई। आज टाटा की गिनती देश ही नहीं दुनिया की दिग्गज कंपनियों में होती है। इसका साम्राज्य इजराइल, ईरान, ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक में फैला हुआ है।
एकनजर में टाटा का साम्राज्य 100 से देशों में है। इजराइल में टाटा की मौजूदगी टेक सेक्टर में है। वहां पर तीन साल पहले इजराइल के पहले पूर्ण डिजिटल बैंक ने बैंकिंग सर्विस ब्यूरो के लिए अपने पहले क्लाइंट के रूप में टीसीएस के साथ साझेदारी की थी। उसके अलावा ज्वेलरी सेक्टर में भी टाटा का बिजनेस फैला हुआ है।
इजराइल में टीसीएस की मौजूदगी 2005 से ही है। टीसीएस के लगभग 1,100 कर्मचारी इजराइल में काम करते हैं।
यही नहीं, ईरान में टाटा की मौजूदगी स्टील सेक्टर में है। वहां पर टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा स्टील बिजनेस करती है तो साउथ कोरिया में टाटा ट्रक का बिजनेस करती है।
ब्रिटेन में टाटा कार बनाती है और साउथ वेल्स के पोर्ट टैलबोट में भी काम करती है। साल 2000 में टाटा ने लंदन में टेटली टी का अधिग्रहण किया था। टाटा ने एंग्लो-डच स्टील निर्माता कोरस समूह को 11 अरब अमेरिकी डॉलर में खरीदा। उसने फोर्ड मोटर कंपनी से मशहूर ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर में खरीदा।
अमेरिका में भी टाटा टेक सेक्टर में है।अरब मुल्कों में टाटा का मुख्य काम डिफेंस और माइनिंग सेक्टर में है।