RANCHI: झारखंड सहायक प्राध्यापक संघ रांची विश्वविद्यालय ईकाई की बैठक आज रांची में हुई. बैइक में घंटी आधारित सहायक प्राध्यापक संघ रांची विश्वविद्यालय इकाई ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया है. संघ के अध्यक्ष डा. त्रिभुवन शाही सहित सभी सहायक प्राध्यापक ने सरकार द्वारा कैबिनेट की बैठक में लिये गये निर्णय जिसके तहत व्याख्याता नियुक्ति में नैक ग्रेड के आधार पर पी.एचडी की डिग्री में वरीयता देने वाली पूर्व निर्णय को अमान्य किया गया साथ ही यू.जी.सी के नियमावली को लागू किया.
व्याख्याताओं ने किया था पहले लिए गये निर्णय का विरोध
सरकार द्वारा पहले लिए गए निर्णय को संघ द्वारा विरोध दर्ज किया गया था,
जिसे छात्र संघ सहित गेस्ट फैकल्टी संघ, महाविद्यालय शिक्षक संघ
ने भी समर्थन दिया था. महासचिव डॉ. रामकुमार तिर्की ने
हर्ष व्यक्त करते हुए कैबिनेट सदस्य को धन्यवाद दिया,
साथ ही किसी भी विश्वविद्यालय में अनुबंध पर
कार्यरत सहायक प्राध्यापकों का न्यूनतम मानदेय 57,700 रुपये करने की मांग की है.
उन्होंने कहा है कि यू.जी.सी रेगुलेशन के अनुसार
न्यूनतम ग्रेड पे या ग्रौस सैलरी नहीं मिलने के कारण
असिस्टेंट प्रोफेसर के सीधी नियुक्ति में शैक्षणिक अनुभव
का लाभ- न तो केंद्रीय विश्वविद्यालयों में मिल रहा है और ना ही किसी राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों की नियुक्ति प्रक्रिया में प्राप्त हो रही है.
व्याख्याताओं का मानदेय तय करने की मांग
वर्तमान में घंटी आधारित शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक रहा है. उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर भी अभी प्रति माह वेतन तक निर्धारित नहीं हो पाया है जिससे न तो जीवन चल रहा है न तो आर्थिक स्थिति सुधर रही है. राज्य के उच्च शिक्षा विभाग, कुलपति कुलाधिपति सहित माननीय मुख्यमंत्री महोदय का भी ध्यान हमारी ओर नहीं है.
इसलिए माननीय कुलाधिपति, राज्य के मुख्यमंत्री सहित सभी उच्च शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों से मानदेय तय करने की मांग की है. धन्यवाद देने वाले में डॉ निरंजन महतो, डॉ त्रिभुवन शाही, डा.अंशुल, डॉ. उषा, डा कन्हैया लाल,डॉ. रामकुमार,डॉ मुकेश उरांव, डॉ राजश्री,सहित सभी घण्टी आधारित सहायक प्राध्यापक थे.
रिपोर्ट: शाहनवाज