Monday, October 27, 2025
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बच्चों को HIV संक्रमित खून चढ़ाना है ‘राज्य-प्रायोजित हत्या’ : बाबूलाल मरांडी

Ranchi: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से ग्रस्त 5 मासूम बच्चों को एचआईवी (HIV) संक्रमित खून चढ़ाए जाने की घटना को “लापरवाही नहीं बल्कि राज्य-प्रायोजित हत्या का प्रयास” करार दिया है। सिर्फ़ लापरवाही नहीं, बल्कि राज्य-प्रायोजित हत्याः मरांडी ने कहा कि यह मामला केवल डॉक्टर या टेकनीशियन की कमी का विषय नहीं है, बल्कि यह पूरे स्वास्थ्य तंत्र की विफलता और राज्य सरकार की संवेदनहीनता को उजागर करता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इन बच्चों की भविष्य में मृत्यु हो जाती है, तो यह सिर्फ़ लापरवाही नहीं, बल्कि राज्य-प्रायोजित हत्या कहलाएगी। संवेदनशील...

चुनाव के बीच खरना का प्रसाद खाने चिराग के घर पहुंचे CM नीतीश, पैर छूकर लिया आशीर्वाद

पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव के बीच छठ पूजा का महापर्व चल रहा है। कल यानी 25 अक्टूबर से चार दिन का चलने वाला महापर्व छठ की शुरुआत हुई थी। कल नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत हुई। आज यानी 26 अक्टूबर को खरना है, वहीं 27 अक्टूबर को डूबते हुए सूर्य का अर्घ्य और 28 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य के अर्घ्य के साथ छठ पूजा का समापन हो जाएगा।चिराग ने पैर छूकर नीतीश का लिया आशीर्वाद, फिर ले गए घर आपको बता दें कि इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव के बीच समय...

थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों को HIV संक्रमित खून चढ़ाने मामले पर केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी का आक्रोश: कहा — “यह गलती नहीं, पूरे स्वास्थ्य तंत्र...

Ranchi: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने झारखंड के चाईबासा जिले में थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों को रक्त HIV संक्रमित खून चढ़ाए जाने की घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने इस मामले को “अत्यंत भयावह और अमानवीय लापरवाही” बताया। मंत्री ने कहा कि यह घटना केवल एक चिकित्सीय गलती नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य तंत्र की विफलता का प्रतीक है। जिन बच्चों की जिंदगी उपचार से बचाई जानी थी, उन्हें लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी ने आजीवन पीड़ा दे दी है। मामले की उच्चस्तरीय जांच होः  मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि केवल मुआवजे की घोषणा पर्याप्त नहीं है,...

राज्य की इन भूमियों को BIADA देगी नए उद्योग को, नई एग्जिट नीति के तहत लिया गया निर्णय

“Efficient supply chain and cargo logistics service in Bihar and Jharkhand”
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राज्य की बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों की जमीन पर विकसित होंगे नए उद्योग। बिहार में उद्योग प्रोत्साहन के तहत पहली बार राज्य सरकार लेकर आई एग्जिट नीति। इस नीति के तहत बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों के लिए आवंटित जमीन BIADA को सुपुर्द कर हासिल की जा सकती है जमा पूंजी। हाल में निदेशक पर्षद की 93वीं बैठक में लिया गया यह महत्वपूर्ण निर्णय

पटना: राज्य में उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार नई एक्जिट नीति लेकर आई है। इसके तहत उद्यमी बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों की जमीन वापस बियाडा को सुपुर्द कर पहले से जमा अपनी लीज राशि वापस ले सकते हैं। 11 फरवरी को हुई BIADA (बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार) के निदेशक पर्षद की 93वीं बैठक में इससे संबंधित निर्णय लिया गया और एक्जिट नीति–2025 को लागू करने को लेकर स्वीकृति प्रदान की गई।

इस नई नीति का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक क्षेत्रों में बंद पड़ी इकाइयों की भूमि का उपयोग करना है। उद्यमी बियाडा (BIADA) की तरफ से आवंटित भूमि को वापस कर सकते हैं। इस जमीन का आवंटन नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए किया जाएगा। इस नीति के तहत आवेदन की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2025 है।

इस नीति के तहत पात्र इकाई

  • ऐसी सभी इकाइयां जिनका वर्तमान में आवंटन वैध है
  • ऐसी इकाइयां जिन्होंने आवंटन रद्दीकरण के विरुद्ध अपीलीय प्राधिकार, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर रखी है। ये लोग अपनी वाद याचिका वापस लेकर नियमानुसार इस नीति का लाभ उठा सकते हैं
  • ऐसी सभी इकाइयां जिनका आवंटन रद्द हो चुका है लेकिन दखल कब्जा BIADA ने अभी तक नहीं लिया है।
  • इन सभी मामलों में आवंटन या लीज की अवधि आवेदन की तिथि को वैध होना आवश्यक है।

इन पर लागू नहीं होगी यह नीति

  • जिनके आवंटन या लीज की अवधि समाप्त हो चुकी है।
  • यदि तृतीय पक्ष को भूमि आवंटित हो चुकी है।

ऐसे होगा नीति का कार्यान्वयन

जिस उद्यमी की तरफ से भूमि वापस की जा रही है, उसे उस भूखंड की वर्तमान BIADA दर (भूवापसी के आवेदन की तिथि को) के आधार पर उनके स्तर से उपयोग की गई लीज या आवंटन अवधि की आनुपातिक कटौती कर शेष राशि निम्नांकित तरीके से वापस की जाएगी

  1. 1 से 3 वर्ष की अवधि तक अकार्यरत उद्योगों की जमीन (नव आवंटित इकाई के अतिरिक्त) के मामले में 10 फीसदी राशि लौटेगी।
  2. 3 वर्ष से अधिक एवं 5 वर्ष से कम की अवधि तक अकार्यरत उद्योगों की जमीन की स्थिति में 15 फीसदी राशि लौटेगी।
  3. 5 वर्ष से अधिक की अवधि तक अकार्यरत उद्योगों की जमीन की स्थिति में 20 फीसदी राशि लौटेगी। सभी राशि पर 18 फीसदी जीएसटी देय होगा। इसके अतिरिक्त किसी भी बिजली संस्थान या बैंक या वित्तीय संस्थान या सरकार के किसी अन्य विभाग या BIADA का बकाया होने की स्थिति में उसकी कटौती करने के बाद ही शेष राशि का भुगतान उद्यमी को किया जाएगा। अकार्यरत होने की तिथि का निर्धारण संबंधित उप–महाप्रबंधक या क्षेत्रीय प्रबंधक या सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक के निरीक्षण प्रतिवेदन या रिपोर्ट के आधार पर ही किया जाएगा।

इकाइयों को देने होंगे ये दस्तावेज

  • इकाई के निबंधित लीज डीड एवं आवंटन पत्र की मूल प्रति
  • वित्तीय संस्थान या बैंक का अनापत्ति या बकाया रहित प्रमाण पत्र। अगर कोई ऋण नहीं लिया है, तो इसका शपथ पत्र
  • बिजली कंपनी से बकाया रहित प्रमाण पत्र या अपडेट विद्युत बिल
  • यह प्रमाण पत्र भी देना होगा कि इस इकाई पर कोई वित्तीय संस्थान या बैंक या बिजली कंपनी या कोई सरकारी विभाग का कोई बकाया नहीं है

3 महीने की मिलेगी मोहलत

इस नीति के तहत आवेदन स्वीकृत होने के बाद स्वीकृति की तिथि से संबंधित औद्योगिक इकाई को तीन महीने मोहलत दी जाएगी। इस दौरान वे अपनी संरचना या संयंत्र को हटा लें। इसके बाद भूमि का स्वामित्व BIADA को सौंपना होगा। अगर इकाई अपने संयंत्र को निर्धारित अवधि में नहीं हटाती है, तो इसकी नीलामी सरकार करा देगी और इसमें होने वाले खर्च की राशि की कटौती भी संबंधित इकाई से की जाएगी।

तीन किश्तों में होगा राशि का भुगतान

इस नीति में स्वीकृत आवेदन वाली इकाइयों को तीन किश्तों में राशि का भुगतान किया जाएगा। BIADA को जमीन मिलने के चार महीने के अंदर 40 फीसदी तथा शेष राशि का भुगतान चार पर 30 फीसदी और फिर आठ महीने पर 30 फीसदी राशि का भुगतान किया जाएगा।

नव गठित इकाईयों के लिए यह नीति

वैसी नवगठित इकाईयां, जो BIADA भू आवंटन नीति, 2002 के तहत कार्यरत है और निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत या किसी अन्य कारण से उद्योग स्थापित करने में सक्षम साबित नहीं हो पा रही है, तो वे भी इस नीति का लाभ उठा सकती हैं। इनके लिए उनके स्तर से उपयोग की गई लीज या आवंटित अवधि की आनुपातिक कटौती की जाएगी। इसके अतिरिक्त भूमि मद में भुगतान की गई कुल राशि का 10 प्रतिशत एवं लागू कर की कटौती करके शेष राशि का भुगतान किया जाएगा।

अगर संबंधित उद्यमी का कोई किस्त बकाया है, तो ऐसे में बकाए किस्त की राशि का 2 प्रतिशत अतिरिक्त राशि दण्ड स्वरूप कटौती की जाएगी। आवेदन स्वीकृत होने की स्थिति में 3 महीने अंदर जमीन पर मौजूद सभी संरचनाओं को हटाना होगा। आवेदन को BIADA मुख्यालय में कार्यकारी निदेशक उत्तर या दक्षिण के कार्यालय में समर्पित कर सकते हैं। आवेदन के साथ सभी संबंधित जरूरी दस्तावेज भी संलग्न करना होगा। किसी भी आवेदन पर विचार करने के लिए प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी हुई है, जिसका निर्णय ही अंतिम एवं मान्य माना जाएगा।

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