डिजीटल डेस्क : Big Statement – ज्ञानवापी ही साक्षात विश्वनाथ जी हैं– CM Yogi बोले – ज्ञानवापी ही साक्षात विश्वनाथ जी हैं…। CM Yogi आदित्यनाथ ने शनिवार को गोरखपुर में एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए काफी अहम बयान दिया है। अपने संबोधन में CM Yogi ने कहा कि –
दुर्भाग्य से जिस ज्ञानवापी को आज लोग दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं लेकिन वह ज्ञानवापी ही साक्षात विश्वनाथ जी हैं’।
CM Yogi ने इस संदर्भ में सुनाई भगवान से शंकराचार्य के संवाद-कथा
CM Yogi आदित्यनाथ ने इस संदर्भ में अपने संबोधन के क्रम में काशी में हुए भगवान शंकर और आचार्य आदि शंकर के बीच के संवाद की कथा रोचक अंदाज में सुनाते हुए गूढ़ संदेश दिया।
कहा कि- ‘केरल में जन्मे एक संन्यासी ने आदि शंकर के रूप में भारत के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना की। आचार्य शंकर जब अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर के आगे की साधना के लिए काशी में आए तो साक्षात भगवान शिव ने उनकी परीक्षा लेनी चाही।
ब्रह्म मुहूर्त में जब आदि शंकर गंगा स्नान के लिए जा रहे होते हैं तो भगवान शंकर एक सामान्य अछूत व्यक्ति के रूप में उनके सामने खड़े हो गए। फिर स्वाभाविक रूप में आदि शंकर के मुंह से निकला कि – हटो, मार्ग से हटो।
तो सामने खड़ा चंडाल ने पूछा कि – आप तो अपने आपको अद्वैत ज्ञान के मर्मज्ञ मानते हैं। आप किसको हटाना चाहते हैं? क्या आपका ज्ञान इस भौतिक काया को देख रही है ? या इस भौतिक काया के अंदर बसे हुए ब्रह्म को देख रही है?
अगर ब्रह्म सत्य है तो जो आपके अंदर है, वही मेरे अंदर है। इस ब्रह्मसत्य को जान करके आप अगर इस ब्रह्म को ठुकरा रहे हैं तो इसका मतलब आपका ज्ञान सत्य नहीं है।
आदि शंकर भौंचक्क थे कि एक चंडाल के मुंह से इस तरह की बात। आदि शंकर ने पूछा कि आप कौन हैं? मैं जानना चाहता हूं।
तब भगवान शंकर ने कहा कि जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए आप केरल से चल करके यहां आए हैं, मैं उसका साक्षात स्वरूप विश्वनाथ हूं’।
CM Yogi बोले – यह सुन भगवान के सामने नतमस्तक हुए थे शंकराचार्य
इसी क्रम में कथा का शेष भाग सुनाते हुए CM Yogi आदित्यना ने कहा कि – ‘उसके बाद तो तुरंत आदि शंकर भगवान शंकर के चंडाल स्वरूप के सामने नतमस्तक होते हैं। उन्हें इस बात का पश्चाताप होता है कि नहीं, ये जो भौतिक अस्पृश्यता (छुआछूत) है यह न केवल साधना के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भी सबसे बड़ी बाधा है’।
CM Yogi बोले – अस्पृश्यता ही राष्ट्रीय एकता में सबसे बड़ी बाधा
CM Yogi ने अपने इसी कथा में आदि शंकर के विचारों में अस्पृश्यता वाली बाधा को बताया। उन्होंने कहा कि – ‘इस बाधा को हमारे समाज ने कभी समझा होता तो फिर ये देश कभी गुलाम नहीं होता। भारत की संत परंपरा ने कभी भी अस्पृश्यता (छुआछूत) को महत्व नहीं दिया। उन्होंने हमेशा समरस समाज पर जोर देने का प्रयास किया।
भारत के संतों की परंपरा सदैव जोड़ने की रही है। संतों ने प्राचीन काल से भारत में ऋषि परंपरा से समतामूलक समाज के महत्व को सदैव महत्व दिया है। देश को जोड़ने की एक व्यावहारिक भाषा जिसे बहुसंख्यक आबादी जानती, पहचानती है और समझती है वह राजभाषा हिंदी है।
इसके बारे में एक बात जरूर है कि इसका मूल देववाणी संस्कृत से है। दुनिया की जितनी भी भाषाएं – बोलियां हैं, कहीं न कहीं उनका स्रोत देववाणी संस्कृत में दिखाई देती है।
भारतेंदु हरिश्चंद ने अपनी निज भाषा के बारे में जो शब्द व्यक्त किए थे, वह बरबस ही हम सबका ध्यान आकृष्ट करता है कि निज भाषा उन्नत अहै, सब भाषा के मूल। अगर हमारी भाषा स्वयं की नहीं है तो हमारी प्रगति को हर स्तर पर बाधित करेगी’।
बोले CM Yogi- नए भारत में विदेशी राजनयिक हिंदी में बात करते हैं
शनिवार को गोरखपुर में प्रयागराज के हिंदुस्तानी एकेडमी उ.प्र. और दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ के अवदान विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए CM Yogi आदित्यनाथ ने आगे कहा कि हमारी प्रगति के मार्ग पर एक बैरियर होगा सामने।
उस बैरियर को हटाने के लिए देश के अंदर आजादी के आंदोलन से लेकर और उसके बाद भी आह्वान हुआ, पिछले 10 वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आई सरकार ने हिंदी को जिस व्यावहारिक रूप में देश और दुनिया के अंदर प्रस्तुत किया है, वह अभिनंदनीय है।
इस दिशा में सभी संस्थाओं को अभिया को पूरी प्रतिबद्धता से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इसी का परिणाम है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम भी हिंदी में दिखाई दे रहे हैं।
यही नहीं, अब जब दुनिया के देशों के राजनयिक हमारे यहां आते हैं तो हिंदी में ही में हमसे संवाद बनाना चाहते हैं। यह एक नए भारत का दर्शन हम सबको कराता है।
इस मौके पर इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक (म.प्र.) के कुलपति प्रो. प्रकाशमणि त्रिपाठी, अपर मुख्य सचिव भाषा जितेंद्र कुमार, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल, एमएलसी डॉ. धर्मेंद्र सिंह, विधायक महेंद्र पाल सिंह, विपिन सिंह, प्रदीप शुक्ला, उ.प्र. महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी आदि मौजूद रहे।