ममता देवी की विधायकी जाने के बाद खाली हुई सीट
रांची : रामगढ़ से ममता देवी की विधायकी जाने के बाद अब जल्द ही उपचुनाव होंगे.
इसका संकेत झारखंड मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) के. रवि कुमार ने दे दिया है.
उन्होंने कहा कि रामगढ़ में दो महीने में उपचुनाव हो सकते हैं.
क्योंकि किसी की विधायकी जाने के 6 महीने के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य होता है, इसलिए हम
सभी देरी नहीं करना चाहते हैं. केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने तैयारी का आदेश दे दिया है. 6 जनवरी
को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार तैयारी का जायजा लेने रामगढ़ जाएंगे.
रामगढ़: 6 महीने के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य
ममता देवी की विधानसभा सदस्यता समाप्त होने के बाद खाली हुई सीट की जानकारी चुनाव आयोग को दे दी गई थी.
अब चुनाव आयोग अपनी सुविधानुसार छह माह के अंदर उपचुनाव की तारीख का एलान करेगा.
बता दें कि राज्य में पांचवीं विधानसभा में यह पांचवां उपचुनाव होगा.
इससे पहले बेरमो, दुमका, मधुपुर और मांडर विधानसभा के लिए उपचुनाव हो चुके हैं. चारों सीटें यूपीए
थीं और यूपीए उम्मीदवार जीते. इस बार कोयलांचल की रामगढ़ विधानसभा में राजनीतिक दलों के
बीच शह और मात का खेल होगा.
उपचुनाव को लेकर बिछने लगी सियासी बिसात
सीट खाली होने के साथ ही रामगढ़ उपचुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछने लगी है.
राज्य बनने के बाद 2019 में पहली बार कांग्रेस के खाते में यह सीट गई थी. 2005 से लगातार
इस सीट पर आजसू पार्टी का कब्जा था. इसके पहले 2005 से आजसू पार्टी के चंद्रप्रकाश चौधरी
यहां से चुनाव जीतते रहे हैं. लेकिन जब वह गिरिडीह लोकसभा के लिए निर्वाचित होकर संसद पहुंच गए,
तब रामगढ़ सीट पर अपनी पत्नी सुनीता देवी को मैदान में उतारा था, लेकिन वह कांग्रेस की ममता देवी से हार गईं.
रामगढ़: 2001 में बाबूलाल मरांडी ने जीता था उपचुनाव
राज्य बनने के ठीक दूसरे साल वर्ष 2001 में इस सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भाजपा
से उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने. एकीकृत बिहार में 2000 के चुनाव में शबीर अहमद कुरैशी
उर्फ भेड़ा सिंह चुनाव जीतकर विधायक बने थे, लेकिन उनकी मौत के बाद यह सीट खाली हो गई थी.