Dhanbad- 1932 का खतियान और ओबीसी आरक्षण को लेकर जश्न का माहौल थमता दिख नहीं रहा.
राज्य हर हिस्से से जश्न की खबरें आ रही है.
जश्न का माहौल- रंग, गुलाल और पांरपरिक नृत्य से गुलजार रहा धनबाद
इसी कड़ी में रणधीर वर्मा चौक पर करीब घण्टे तक झामुमो के नेता और
कार्यकर्ताओं के द्वारा अबीर गुलाल उड़ाया जाता रहा. मिठाइयां बांटी जाती रही.
ऐसा लग रहा था कि झामुमो कार्यकर्ता होली दिवाली एक ही दिन मनाने का ठान कर आये थें.
पारंपरिक हथियार और ढोल नगाड़ों के साथ नृत्य होता रहा.
बीच-बीच में दिशोम गुरु शिबू सोरेन जिन्दाबाद और हेमंत सोरेन जिन्दाबाद के नारे भी लगते रहें.
इस अवसर पर जेएमएम कार्यकर्ता रमेश टूटू ने कहा कि 1932 का खतियान
और ओबीसी आरक्षण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ऐतिहासिक निर्णय है.
मुख्यमंत्री ने आम झारखंडियों की दिल की सुनी है,
आने वाला 50 सालों तक उन्हें कोई सीएम की कुर्सी से हिला नहीं सकता.
कई हिस्सों में 1932 के खतियान को लेकर आशंका
इस जश्न के बीच राज्य के कई हिस्सों और खास कर कोल्हान और कोयलांचल से 1932 को
लेकर आशंका की भी खबरे हैं.
कई लोगों का मानना है कि राज्य के कई जिलों में अंतिम भूमि सर्वे 1392 के बाद हुआ है,
यदि उन हिस्सों में भी 1932 को ही स्थानीयता का पहचान माना गया,
तब इनके सामने समस्या खड़ी हो सकती है,
लेकिन इस बारे में अभी से कुछ भी साफ साफ नहीं कहा जा सकता,
देखना होगा कि राज्य सरकार अपने विस्तृत रिपोर्ट में इसे किस रुप में सामने लेकर आती है.
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