डिजीटल डेस्क : युवाओं में CM Yogi ने भरा जोश, बोले – युवा क्या नहीं कर सकता? यूपी के कानपुर नगर में रविवार को रामा विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के तृतीय दीक्षान्त समारोह में CM Yogi आदित्यनाथ ने युवाओं में खूब जोश भरा।
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CM Yogi ने कहा कि – ‘युवा क्या नहीं कर सकता? युवाओं द्वारा विज्ञान, शोध तथा नवाचार के क्षेत्र में देश तथा दुनिया में बहुत कार्य किए गए हैं। आपके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं है, लेकिन कुछ करने का जज्बा होना चाहिए। हमें जीवन में नवाचार, नए शोध तथा अपने आसपास घटित होने वाली प्रत्येक घटना का अवलोकन करने की एक कार्यशैली विकसित करने के लिए तैयार होना चाहिए’।
CM Yogi बोले – युवाओं ने ही बदली देश की धारा…
इसी क्रम में CM Yogi आदित्यनाथ ने आगे कहा कि – ‘युवाओं ने ही भारत देश की धारा बदली।… देश की धारा को बदलने का काम करने वाले सभी युवा थे।
..‘इस भारतवर्ष में सौ बार मेरा जन्म हो, कारण सदा ही मृत्यु का देशोपकारक कर्म हो’ का उद्घोष करने वाले काकोरी ट्रेन एक्शन के महानायक पं. राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खान, राजेन्द्र प्रसाद लाहिड़ी जैसे महान क्रांतिकारी यह सब युवा ही थे। तत्कालीन परिस्थितियों में महापुरुषों ने देश को नयी दिशा प्रदान की।
…उस वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई को याद करिए जिसके बारे में कहा जाता है कि ‘सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आयी फिर से नयी जवानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’। सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मात्र 26 वर्ष की आयु में रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी थीं। अंग्रेज उन्हें परास्त नहीं कर सके थे।
..वीर सावरकर दुनिया के पहले क्रांतिकारी थे, जिन्हें एक ही जन्म में दो आजीवन कारावास की सजा हुई थी। उस समय वीर सावरकर की उम्र मात्र 28 वर्ष थी। उन्होंने देश की धारा को बदलने का काम किया’।

CM Yogi ने कहा – जुझारू युवाओं की दृष्टि से भारत का इतिहास गौरवशाली रहा है…
CM Yogi आदित्यनाथ ने आगे कहा कि- ‘…युवावस्था प्रत्येक प्रकार की चुनौतियों से जूझने की सामर्थ्य रखती है। प्रत्येक विपरीत परिस्थिति को अपने अनुकूल बनाने की क्षमता रखती है। विद्यार्थियों को अपने विषय में पारंगत होने के साथ-साथ देश, काल और समाज की परिस्थितियों के बारे में भी जानकारी रखनी चाहिए।
…एक युवा पलायनवादी नहीं हो सकता। वह समय, काल तथा प्रवाह से स्वयं को अबाधित नहीं मान सकता। इस दृष्टि से भारत का इतिहास गौरवशाली रहा है।‘जो दृढ़ राखे धर्म को, तिहि राखे करतार’ का उद्घोष करने वाले महाराणा प्रताप ने मात्र 22 हजार सैनिकों के साथ 27 वर्ष की उम्र में हल्दीघाटी का पहला युद्ध लड़ा। अकबर की सेना एक लाख से अधिक थी।
…महाराणा प्रताप इस युद्ध को लगातार 30 वर्ष तक लड़ते रहे। अन्ततः अपने समस्त दुर्ग व किलों को अकबर से वापस प्राप्त कर भारत के स्वाभिमान की रक्षा की। हिन्दवी साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की कीर्ति किसी परिचय की मोहताज नहीं है।
…गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के चार साहिबजादों ने किशोरावस्था में ही स्वयं को देश तथा धर्म के लिए बलिदान कर दिया।
…दुनिया की बात करें तो फ्रांस के वैज्ञानिक लुईस ब्रेल ने मात्र 15 वर्ष की आयु में दृष्टिबाधितों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था। आइन्स्टीन ने मात्र 26 वर्ष की आयु में सापेक्षता के सिद्धांत की पुष्टि की। न्यूटन ने मात्र 23 वर्ष की आयु में गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की। आज के समारोह में उपस्थित ज्यादातर युवा 16 से 25 वर्ष की आयु के होंगे’।

CM Yogi ने युवाओं के मिसाल के रूप में सुनाया प्रभु राम, कृष्ण, बुद्ध और शंकराचार्य का किस्सा…
समारोह में मौजूद युवाओं को संबोधित करते हुए CM Yogi आदित्यनाथ ने अपने अंदाज में उन्हें कई युवाओं को मिसाल दिए और किस्से भी बताए।
CM Yogi ने कहा कि – ‘अयोध्या के राजकुमार प्रभु श्रीराम को मात्र 16 वर्ष की आयु में 14 वर्ष का वनवास हो जाता है। इस वनवास काल में उन्होंने भारत को उत्तर से दक्षिण तक जोड़ दिया।
…उस समय उनकी क्या आयु रही होगी, जब उन्होंने दण्डकारण्य में गुरुकुलों का संचालन करने वाले ऋषि-मुनियों को अभय प्रदान करने के लिए ‘निसिचर हीन करहुँ महि भुज उठाई पन कीन्ह’ का संकल्प लिया था। जब उन्होंने सेतुबन्ध का निर्माण किया होगा, सुग्रीव को किष्किंधा पर शासक के रूप में स्थापित किया होगा, रावण जैसे बलशाली को मारकर इस धरती को राक्षस विहीन करके वापस अयोध्या आए होंगे, तब उनकी क्या उम्र रही होगी।
…प्रभु श्री राम ने वनवासियों, गिर वासियों तथा समाज के अन्य वर्गों को जोड़कर समुद्र में 100 योजन में सेतुबन्ध का निर्माण किया था’।

…भगवान श्रीकृष्ण कंस के अत्याचार से पीड़ित मथुरा को अभय प्रदान करते हैं। यह कार्य उन्होंने किशोरावस्था में ही किया। उन्होंने मथुरा-वृंदावन में अपनी लीला का प्रदर्शन किया। कंस के अत्याचारों से मथुरा को मुक्ति प्रदान करने के पश्चात वह गुरुकुल चले गए। गुरुकुल से वापस लौटकर वह द्वारका चले गए।
…उनका एक ही संकल्प था कि ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’। पूरी दुनिया को निर्वाण का संदेश देने वाले तथा ‘अप्पो दीपो भवः’ के माध्यम से स्वयं के अन्दर ज्योति को देखने की प्रेरणा प्रदान करने वाले भगवान बुद्ध ने अपनी युवा ऊर्जा के माध्यम से समाज को नई दिशा प्रदान की।
…आदि शंकराचार्य मात्र 32 वर्ष तक जीवित रहे। अपने जीवन काल में उन्होंने देश के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना की। सनातन धर्म के ध्वजवाहक के रूप में उन्होंने पूरे देश को एकता के सूत्र में जोड़ा। वह केरल में जन्मे थे’।