रांची: झारखंड सरकार के मंत्रियों द्वारा आप्त सचिवों की नियुक्ति के लिए सरकार को अनुशंसाएं भेजने का सिलसिला तेज हो गया है। करीब आधा दर्जन मंत्रियों ने अपने आप्त सचिवों के नामों की सिफारिशें सरकार को भेजी हैं। इनमें से अधिकतर नाम सरकारी कोटे से चयनित किए गए हैं। हालांकि, इस बार इन नामों को मंजूरी मिलना इतना आसान नहीं होगा।
पृष्ठभूमि जांच के बाद अधिसूचना
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि आप्त सचिवों की नियुक्ति से पहले उनकी पृष्ठभूमि की पुलिस जांच अनिवार्य होगी। मुख्यमंत्री की स्वीकृति मिलने के बाद ही अधिसूचना जारी की जाएगी। कैबिनेट की पहली बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया था कि मंत्री अपने निजी स्टाफ और आप्त सचिवों की नियुक्ति से पहले उनकी पृष्ठभूमि की गहराई से जांच सुनिश्चित करें, ताकि कोई भी विवादित व्यक्ति मंत्री कार्यालय का हिस्सा न बने।
किस मंत्री ने किसके नाम की सिफारिश की?
- कल्याण मंत्री चमरा लिंडा: सिमडेगा के एसडीओ अनुराग लकड़ा।
- ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह: दीपक बिरुआ और रवि कुमार (पूर्व में चंपाई के पीए)।
- परिवहन व राजस्व मंत्री: संदीप पांडेय (पूर्व में नियुक्त)।
- नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार: अभी तक नाम स्पष्ट नहीं।
- कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की: मांडर बीडीओ मनोरंजन कुमार।
- उत्पाद मंत्री योगेंद्र प्रसाद: राजमहल के एसडीओ कुमार सोनू और विनय प्रकाश तिग्गा।
पिछली घटनाओं से सबक
इस बार सरकार नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर बेहद सतर्क है। पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल के भ्रष्टाचार मामले में ईडी द्वारा करोड़ों रुपए नकद बरामद होने से राज्य सरकार की भारी बदनामी हुई थी। भाजपा आज भी इस मामले को उठाकर राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाती है।
सरकार का रुख
सरकार की प्राथमिकता इस बार बेदाग छवि वाले लोगों को आप्त सचिव बनाने की है। मुख्यमंत्री ने सख्त निर्देश दिए हैं कि चयन प्रक्रिया पारदर्शी और विवादमुक्त होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी विवाद न खड़ा हो।
इस प्रक्रिया से सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह पारदर्शिता और ईमानदारी को प्राथमिकता देती है।