राज्यसभा में पेश हुआ CRPC अमेंडमेंट बिल, अमित शाह ने बताया क्यों जरूरी है ये बिल

नई दिल्ली : राज्यसभा में बुधवार को सीआरपीसी अमेंडमेंट बिल पेश किया गया.

बिल पेश होने के दौरान विपक्षी दलों ने विरोध किया.

इस बिल को गृहमंत्री अमित शाह ने संसद के उच्च सदन में रखा.

इस दौरान जहां कांग्रेस ने इस बिल को असंवैधानिक बताया, वहीं अमित शाह ने कहा कि,

आज के वक्त में पुराना कानून पर्याप्त नहीं है. इसीलिए विधि आयोग ने इसकी सिफारिश की थी.

कानून-व्यवस्था में आयेगा सुधार- अमित शाह

बिल पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, मैं आज इस विधेयक को लेकर आया हूं.

जिसे 4 तारीख को लोकसभा ने पारित किया था.

इस विधेयक का उद्देश्य 100 साल पुराने विधेयक में आज के जमाने के अनुरूप टेक्नोलॉजी का जो बदलाव हुआ है,

उसका समावेश करना, इनवेस्टिगेशन को बल देना और

दोष सिद्धि के प्रमाण ज्यादा से ज्यादा हो सकें इस पर जोर दिया गया है. अमित शाह ने कहा कि, जब तक किसी भी देश में दोष सिद्धि का प्रमाण नहीं बढ़ता है, तब तक कानून-व्यवस्था सुधारने के सभी प्रयास विफल हो जाते हैं. पुलिस या एजेंसियां कितने भी लोगों को कानून के दायरे में पकड़कर लाएं, लेकिन जब तक अदालत में उनके दोष को सिद्ध नहीं किया जाता तब तक उन्हें सजा नहीं मिलती है. आज के समय में अंग्रेजों का बनाया कानून पर्याप्त नहीं है.

विधि आयोग ने भारत सरकार को सौंपी थी रिपोर्ट

अमित शाह ने विधि आयोग के सुझावों का जिक्र करते हुए कहा कि, विधि आयोग ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें कहा गया कि 1920 के कानून को बदलने की जरूरत है. कई तरह के बदलावों के सुझाव दिए गए. शाह ने कहा कि, हर जिले में किस तरह के गुनाह होते हैं, हर प्रदेश में किस तरह के अपराध ज्यादा होते हैं. इसके आधार पर पुलिस की रणनीति बन पाए, इस तरह की व्यवस्था बनाई जाएगी. जो इस विधेयक में शामिल है.

संविधान को तोड़ रहा ये बिल- पी. चिदंबरम

इस विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि, मुझे दुख है ये बिल संविधान को तोड़ रहा है. कोई सुझाव नहीं लिया गया है. मेरे सहयोगी लगातार इस बिल को सलेक्ट कमेटी में भेजने की बात कर रहे हैं उसमें कुछ गलत नहीं है. 102 साल इंतजार किया है 102 दिन और इंतजार क्यों नहीं कर सकते. चिदंबरम ने कहा कि यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है. इस वजह से हम इस बिल का विरोध कर रहे हैं. चिदंबरम ने कहा कि, हम रोजाना संविधान को टूटते हुए देख रहे हैं.

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