उपायुक्तों को अपने वेतन से सिपाही की पत्नी को देना होगा ब्याज की राशि, हाईकोर्ट का आदेश

उपायुक्तों को अपने वेतन से सिपाही की पत्नी को देना होगा ब्याज की राशि, हाईकोर्ट का आदेश

रांची : उपायुक्तों को अपने वेतन से सिपाही की पत्नी को देना होगा ब्याज की राशि, हाईकोर्ट का आदेश- पलामू में

वर्ष 2005 चुनाव के समय मारे गए कांस्टेबल की पत्नी को मुआवजे के दस लाख रुपये के साथ

ब्याज का भुगतान करने और ब्याज की राशि पलामू के उस समय रहे

उपायुक्तों के वेतन से वसूलने के आदेश को झारखंड हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है.

हाईकोर्ट ने वर्ष 2005 से लेकर वर्तमान उपायुक्त के वेतन से ब्याज की राशि वसूलने का निर्देश सरकार को दिया है.

ब्याज 7.5 प्रतिशत की सालाना की दर से भुगतान करने का आदेश दिया है.

सोमवार को अदालत ने सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए

ब्याज की राशि उपायुक्तों के वेतन से वसूलने के पूर्व के आदेश को बरकार रखा.

मृत कांस्टेबल की पत्नी ने दायर की थी याचिका

इस संबंध में मृत कांस्टेबल की पत्नी सुमित्रा देवी ने याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि उनके पति की वर्ष 2005 के चुनाव ड्यूटी के दौरान मौत हो गयी थी. लेकिन अब तक उन्हें मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया है. इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की थी और कहा था कि मुआवजा का भुगतान करने के लिए सरकार की ओर से चुनाव ड्यूटी पर जाने वाली कर्मियों का दस लाख का बीमा कराया जाता है. ऐसे में करीब 12 साल तक मुआवजा का भुगतान नहीं करना काफी गलत है. आश्चर्य की बात है कि किसी भी उपायुक्त ने मुआवजा के भुगतान करने की पहल नहीं की. यह सरकारी कर्मचारियों के प्रति उपायुक्तों की लापरवाही है.

अदालत ने मुख्य सचिव को दिया निर्देश

पूर्व में इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार को कहा था कि यदि 14 जनवरी तक मुआवजे का भुगतान नहीं किया जाता है तो ब्याज की राशि वर्ष 2005 से लेकर अभी तक के सभी उपायुक्तों के वेतन से ब्याज की राशि वसूली जाएगी. अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को सभी उपायुक्तों के सर्विस रिकॉर्ड में कोर्ट के इस आदेश को लिखने का सिफारिश केंद्रीय कार्मिक विभाग से करने का भी निर्देश दिया है.

अदालत ने खारिज की पुनर्विचार याचिका

सोमवार को सरकार की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर कर उपायुक्तों के वेतन से राशि की कटौती का आदेश वापस लेने का आग्रह किया गया. लेकिन अदालत ने इस दलील को नहीं माना और पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी.

रिपोर्ट : प्रोजेश दास

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