रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने रॉयल्टी से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ ने हिंडाल्को, सेल सहित 21 कंपनियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि माइंस एंड मिनरल एक्ट की धारा 21(5) के तहत जिला खनन पदाधिकारी (DMO) को रॉयल्टी के लिए डिमांड नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है।
अदालत ने DMO द्वारा जारी सभी डिमांड नोटिस को निरस्त कर दिया और कंपनियों को पूर्व में जमा की गई राशि को सालाना 7% ब्याज के साथ लौटाने का निर्देश दिया। हालांकि, अदालत ने सरकार को यह छूट दी है कि वह सक्षम प्राधिकार के माध्यम से रॉयल्टी के लिए डिमांड नोटिस जारी कर सकती है।
सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश और ओम्या अनुषा ने पक्ष रखा, जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने दलील दी कि जिला खनन पदाधिकारी केवल रॉयल्टी का आकलन कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर डिमांड नोटिस जारी किया, जो गलत है।
हाईकोर्ट के इस फैसले से झारखंड में खनन से जुड़े मामलों और रॉयल्टी विवादों पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है।