डिजिटल डेस्क : नए कानून से देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त बने ज्ञानेश कुमार कल संभालेंगे कार्यभार। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित नए कानून के तहत ज्ञानेश कुमार देश में नियुक्त होने वाले पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) होंगे। यानि चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे।
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वह मौजूदा CEC राजीव कुमार की जगह लेंगे। ज्ञानेश कुमार का कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक होगा। राजीव कुमार आज 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं और कल 19 फरवरी को ज्ञानेश कुमार सीईसी का पद संभालेंगे।
1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार मार्च, 2024 से ही चुनाव आयुक्त के रूप में काम कर रहे हैं। उन्हें पदोन्नत किया गया है। उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक होगा।
ज्ञानेश कुमार पर इस साल बिहार का विधानसभा चुनाव और अगले साल पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु का चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी होगी।
CEC को लेकर अधिसूचना हुई जारी…
इसी क्रम में CEC को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसमें कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम-2023 के खंड 4 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति ने निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया है।
वहीं, ज्ञानेश कुमार की जगह डॉ. विवेक जोशी अब चुनाव आयुक्त होंगे। इससे पहले बीते कल सोमवार की शाम को नियुक्ति के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता व लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी शामिल हुए।
कानून मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक हरियाणा कैडर के 1989 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी विवेक जोशी को निर्वाचन आयुक्त बनाया गया है।
58 साल के जोशी का जन्म 21 मई 1966 को हुआ था। हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव जोशी जनवरी 2019 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। अब वे निर्वाचन आयुक्त के रूप में 2031 तक सेवाएं देंगे।
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नए CEC ज्ञानेश कुमार के पास है लंबा प्रशासनिक कामकाज का अनुभव…
वर्तमान कानून के अनुसार, मुख्य निर्वाचन आयुक्त या निर्वाचन आयुक्त 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं। या बतौर आयुक्त छह वर्ष के लिए आयोग में सेवाएं दे सकते हैं। CEC नियुक्त किए गए ज्ञानेश कुमार के पास 37 साल से अधिक का प्रशासनिक अनुभव है।
वे केरल सरकार में एर्णाकुलम के सहायक जिलाधिकारी, अडूर के उपजिलाधिकारी, एससी/एसटी के लिए केरल राज्य विकास निगम के प्रबंध निदेशक, कोचीन निगम के नगर आयुक्त के अलावा अन्य पदों पर भी सेवाएं दे चुके हैं। केरल सरकार के सचिव के रूप में उन्होंने वित्त संसाधन, फास्ट-ट्रैक परियोजनाओं और लोक निर्माण विभाग जैसे विविध विभागों को संभाला।
बता दें कि अब तक सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त को ही मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में पदोन्नत किया जाता था। हालांकि, पिछले साल मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्तियों पर एक नया कानून लागू हुआ। इसके तहत एक खोज समिति ने इन पदों पर नियुक्ति के लिए पांच सचिव स्तर के अधिकारियों के नामों को शॉर्ट लिस्ट किया था, ताकि प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली समिति उन पर विचार कर सके।
पीएम, लोकसभा में नेता विपक्ष और पीएम की तरफ से नामित एक कैबिनेट मंत्री एक नाम को मंजूरी देते हैं। इसके बाद राष्ट्रपति की ओर से नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जाती है।
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CEC के लिए ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति का कांग्रेस ने खुलकर किया विरोध…
इस बीच ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त (CEC ) किए जाने की अधिसूचना के बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने असहमति नोट भेजा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बीते कल मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर बैठक हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 19 फरवरी को इस विषय में सुनवाई होगी और फैसला सुनाया जाएगा कि कमेटी का संविधान किस तरीके का होना चाहिए। ऐसे में बीते कल की बैठक को स्थगित करना चाहिए था। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह चुनाव आयोग पर नियंत्रण चाहती है, न कि उसकी विश्वसनीयता को बनाए रखना चाहती है।
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कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन, वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी और गुरदीप सप्पल ने साझी प्रेसवार्ता में कहा कि – ‘मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। 19 फरवरी को सुनवाई है। ऐसे में सरकार को बैठक को स्थगित करनी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुनवाई प्रभावी रूप से हो।
इस नए कानून के अनुसार प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष की समिति मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करती है, लेकिन इसमें कई संवैधानिक और कानूनी समस्याएं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को एक फैसले में कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश की समिति होनी चाहिए।
…वर्तमान समिति इस आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है। अगर केवल कार्यपालिका द्वारा नियुक्ति की प्रक्रिया होगी, तो यह आयोग को पक्षपाती और कार्यपालिका की शाखा बना देगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाना चाहिए।
…वर्तमान समिति को जानबूझकर असंतुलित किया गया है, जिसमें केंद्र को दो तिहाई वोट दिए गए हैं। सरकार का उद्देश्य है कि ऐसा चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाए जो कभी भी सरकार के खिलाफ न खड़ा हो सके।
…मुख्य न्यायाधीश को इस समिति से बाहर रखने का कारण क्या है? इस सवाल का न तो संसद में और न ही बाहर कोई उत्तर दिया गया है। अगर यह चयन प्रक्रिया इसी तरह जारी रहती है तो इसके दीर्घकालिक प्रभाव भारतीय चुनाव प्रणाली की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर पड़ेगा’।