सौर पावर प्लांट का सपना हुआ साकार, CM नीतीश ने लखीसराय वासियों को दिया तोहफा

मुंगेर : एक दशक के लंबे अंतराल के बाद उधोग से वंचित लखीसराय जिले वासियों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कजरा में सौर पावर प्लांट की स्थापना का सपना पूरा कर लोकसभा चुनाव से पूर्व जिले वासियों को तोहफा देने का काम किया है। लखीसराय वासियों की कजरा में बिजलीघर बनाने का सपना एक दशक से देख रहा था। आखिर में राज्य सरकार ने अपने बलबूते लखीसराय जिले के कजरा में सौर पावर प्लांट लगाए जाने की कैबिनेट स्वीकृति दे दी है। कजरा में सौर प्लांट की कैबिनेट स्वीकृति दिए जाने से जिले में हर्ष की लहर दौड़ गई है।

इस कार्य मे अमलीजामा पहनाने में मुंगेर के सांसद सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की अहम भूमिका मानी जा रही है। पूर्व में कजरा में कोयला से ताप ऊर्जा संयंत्र का निर्माण होना था ,लेकिन राजनीतिक खींचतान के साथ ही भीम बांध वन्य जीव आश्रयणी क्षेत्र का बहाना बनाकर 2014 में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने ताप संयंत्र के निर्माण से हट गई। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ताप विद्युत ऊर्जा संयंत्र के लिए अधिगृहित जमीन पर राज्य सरकार ने सौर पावर प्लांट निर्माण की स्वीकृति दी थी।

बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लखीसराय जिले के कजरा में 185 मेगावाट क्षमता का सौर पावर प्लांट लगाए जाने की फाइनल स्वीकृति दे दी है। इसके निर्माण के लिए व्यय होनेवाली राशि का भी लेखा-जोखा प्रस्तुत कर दिया है। सौर पावर प्लांट बैट्री ऊर्जा भंडारण प्रणाली योजना होगी। इस योजना के निर्माण में 1810.34 करोड़ रुपये खर्च होगा। इसमें 80:20 वित्तीय पोषण के तहत 80 फीसदी 1448.27 करोड़ रुपये सरकार की गारंटी पर विभिन्न वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्ति करने की स्वीकृति दे दी है। इसके साथ ही 20 फीसदी 362 करोड़ रुपये इक्विटी स्वरूप पूंजीगत निवेश के रूप में उपलब्ध कराने की कैबिनेट ने स्वीकृति देने के साथ कजरा में सौर पावर पलांट निर्माण होने का रास्ता साफ हो गया है।

बिहार सरकार अपने बलबूते कजरा में सौर पावर प्लांट का निर्माण करेगी। पहले यहां थर्मल पावर प्लांट लगाने की योजना थी। इसके तहत कजरा में 660 मेगावाट की दो-दो यूनिटें लगनी थी। कजरा में कोयला से चलनेवाली ताप विद्युत संयंत्र निर्माण के लिए एनटीपीसी से एमओयू किया गया था। पहले इसकी जिम्मेदारी एनटीपीसी को सौंपने का निर्णय लिया गया था। अब बिहार ने खुद ही इसके निर्माण का निर्णय लिया है।

लगभग आठ वर्ष पूर्व ही बिहार में तीन नये बिजलीघरों के निर्माण की योजना बनी। इनमें बक्सर के चौसा, भागलपुर के पीरपैंती और लखीसराय के कजरा में 1320-1320 मेगावाट क्षमता के बिजलीघर स्थापित की जानी थी। चौसा बिजलीघर का काम काफी तेजी से चला और वहां तो बिजलीघर की डीपीआर तक तैयार हो चुका है। पर, कजरा और पीरपैंती बिजलीघर का मामला फंस गया है। ऐसा तब है जबकि दोनों बिजलीघरों के निर्माण की जिम्मेवारी एनटीपीसी और एनएचपीसी जैसी संस्थाओं को सौंपी गई है।

लखीसराय जिले के कजरा में 1320 मेगावाट क्षमता का बिजलीघर कजरा में स्थापित होना था। इसके लिए करीब 1165 एकड़ जमीन की पहचान कर उनका अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी। परियोजना पर 9200 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान था। बिजलीघर को सालाना 6.25 मीट्रिक टन कोयला और 62.5 क्यूसेक पानी की भी जरूरत पड़ेगी। बिहार के जल संसाधन विभाग की सहमति के बाद केंद्रीय जल आयोग ने 2010 में 55 क्यूसेक गंगाजल के लिए अपनी स्वीकृति भी दे दी।

इन तमाम प्रक्रियाओं के क्रम में ही निकट के भीम बांध वन्य जीव आश्रयणी क्षेत्र का मामला उठाकर वर्ष 2014 में परियोजना के लिए चिह्नित जमीन पर सवाल उठाए गए। कहा गया कि यह ईको सेंसेटिव जोन में आ जाएगा। इसके बाद परियोजना लटक गई थी। पहले ही सौर पावर प्लांट के लिए जमीन हो चुकी है अधिगृहित लखीसराय जिला सौर ऊर्जा के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा। ऊर्जा के क्षेत्र में बिहार सरकार की यह सबसे बड़ी परियोजना है। राज्य सरकार ने वर्ष 2012 में कजरा में थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया था।

परियोजना के लिए 1,204.90 एकड़ भूमि में 1,148.96 एकड़ रैयती भूमि का दखल कब्जा बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड पटना को और 55.93 एकड़ गैरमजरूआ मालिक भूमि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की आधारभूत संरचना विकास प्राधिकार पटना को हस्तांतरित पहले ही किया जा चुका है। सौर पावर प्लांट से लोगों का जहां आर्थिक स्थिति सुधरने के साथ स्थानीय बेरोजगारों को भी काम मिलेगा। लखीसराय वासियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और सांसद ललन सिंह को इस कार्य के लिए साधुवाद दिया है।

चांद किशोर यादव की रिपोर्ट

https://22scope.com

https://youtube.com/22scope

Share with family and friends: