पटना : बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के द्वारा 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर को पूरे बिहार में एक साथ 912 केंद्रों पर लिया गया था। जिसमें से एक केंद्र बापू परीक्षा केंद्र में जमकर हंगामा हुआ। इसके बाद पटना के जिलाधिकारी डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह ने इस घटना की रिपोर्ट बीपीएससी को लिखित रूप में सौंप दी गई है। जिसमें इस बात का जिक्र है कि की कुछ और सामाजिक तत्वों द्वारा जानबूझकर परीक्षा को बाधित करने के लिए हंगामा करवाया गया था। अब इस पर जमकर राजनीति भी शुरू हो गई है।
एक तरफ जहां सत्ता पक्ष इस पूरे मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित राजद पर निशाना साध रही है। वहीं राजद सरकार की नाकामी बता रही है। राजद के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि सरकार सारे मामले को लेकर छात्रों पर ठीकरा ना फोड़े। जब बीपीएससी के द्वारा TRE-3 का एग्जाम हुआ था और उसे समय जब पर्चा लिक हुआ था तब यह लोग कहां थे। सीएचओ के एग्जाम में जिस एजेंसी को अपने जिस एजेंसी को परीक्षा कंडक्ट करवाने दिया था उसी एजेंसी ने 100 करोड़ की डील में यह सारा पर्चा लिख करवाया था।
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एजाज अहमद ने कहा कि बिहार सरकार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) के द्वारा यह बातें कही गई है। तब भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के नेता कहां सोए हुए थे। उनको बताना चाहिए कि इस डील में कौन-कौन लोग शामिल हैं। अब बात जब बीपीएससी परीक्षा की आई है। बापू परीक्षा केंद्र पर 12 हजार अभ्यर्थी जब एग्जाम दे रहे थे, उन्हें प्रश्न पत्र सही ओएमआर शीट लेट से मिले जिसकी वजह से परीक्षार्थियों का धैर्य जवाब दे गया। ऐसे में जब अभियान थी अपनी समस्याओं को लेकर पदाधिकारी के पास पहुंचे तो उन्हें थप्पड़ जड़ दिया गया। सरकार इस बात को स्पष्ट करें कि जब खुद पटना के जिलाधिकारी ने बताया कि प्रश्न पत्र काम आए थे तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है। यह सभी बाद जांच का विषय है। जबतक जांच की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तब तक जदयू और भाजपा के नेताओं के द्वारा इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
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महीप राज की रिपोर्ट