Sunday, August 17, 2025

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जेपीएससी को नहीं मिल रहे योग्य उम्मीदवार, विश्वविद्यालयों और मेडिकल कॉलेजों की नियुक्तियां फिर टलीं

रिपोर्ट: झारखंड में जेपीएससी  के माध्यम से विश्वविद्यालयों और मेडिकल कॉलेजों में नियुक्तियों की प्रक्रिया एक बार फिर अधर में लटक गई है। विश्वविद्यालयों में परीक्षा नियंत्रक (Examination Controller), वित्त पदाधिकारी (Finance Officer) और रजिस्ट्रार जैसे अहम पदों के लिए दो साल पहले विज्ञापन निकाले गए थे। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन तक की प्रक्रिया भी पूरी हुई, लेकिन योग्य अभ्यर्थियों की कमी के कारण जेपीएससी को अंततः नियुक्ति प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी।

विशेषकर परीक्षा नियंत्रक और फाइनेंस अफसर जैसे पदों के लिए आवेदकों की संख्या बेहद कम रही। कुछ पदों पर तो एक भी योग्य उम्मीदवार नहीं मिला। केवल रजिस्ट्रार पद के लिए न्यूनतम आवश्यक अभ्यर्थी मिलने से वह प्रक्रिया आगे बढ़ पाई। आयोग ने इस संबंध में नया नोटिफिकेशन जारी कर स्पष्ट किया है कि जल्द ही इन पदों के लिए पुनः विज्ञापन जारी किया जाएगा।

तीन मुख्य केस स्टडी में समझें नियुक्तियों की स्थिति:

  1. परीक्षा नियंत्रक (Examination Controller):
    राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुल 3 पदों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई थी। परंतु तीन में से एक से भी कम योग्य अभ्यर्थी सामने आए, जिसके चलते यह विज्ञापन रद्द कर दिया गया।

  2. वित्त पदाधिकारी (Finance Officer):
    रांची यूनिवर्सिटी समेत अन्य विश्वविद्यालयों में फाइनेंस अफसर के 7 पदों पर भर्ती की योजना थी। योग्य अभ्यर्थियों की संख्या पर्याप्त नहीं होने पर यह प्रक्रिया भी स्थगित कर दी गई।

  3. असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor – Medical Colleges):
    राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों में 110 पदों पर सीधी नियुक्ति के लिए मई में इंटरव्यू की प्रक्रिया शुरू हुई थी। लेकिन अभ्यर्थियों की संख्या कम रहने से जेपीएससी ने यह विज्ञापन भी वापस ले लिया।

क्या है असर?
मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भारी कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिक्षकों की गैरमौजूदगी का सीधा असर मेडिकल छात्रों की पढ़ाई और प्रशिक्षण पर पड़ रहा है। वहीं, विश्वविद्यालयों में फाइनेंस अफसर और परीक्षा नियंत्रक जैसे प्रशासनिक पदों की नियुक्ति न होने से वित्तीय एवं परीक्षा संबंधी कार्यों में बाधा आ रही है। इन पदों पर वर्तमान में प्रभारी के तौर पर कार्य चल रहा है, जो स्थायी व्यवस्था नहीं मानी जाती।


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