रांची: झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने उत्पाद विभाग के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह से गुरुवार को लंबी पूछताछ की।
मामले में नामजद आईएएस अधिकारी विनय चौबे को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उपस्थित होने में असमर्थता जताई। फिलहाल वे रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती हैं। दोनों अधिकारी ACB की दो दिन की रिमांड पर हैं।
सूत्रों के अनुसार, पहले दिन गजेंद्र सिंह से प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा जमा की गई फर्जी बैंक गारंटियों को लेकर गहन पूछताछ की गई।
पूछताछ में यह उजागर हुआ कि विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विस एंड कंसल्टेंट प्रा. लि. ने 12 अगस्त 2023 को 5.35 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा की थी, जिसे बाद में 28 दिसंबर 2023 को बदला गया। जब एसीबी ने बैंक गारंटी के सत्यापन न करने का कारण पूछा, तो गजेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने विभाग के वरीय अधिकारियों के निर्देशों पर ही कार्य किया।
ACB ने यह भी पूछा कि जब 19 मार्च 2025 को IT मैनेजर अमर कुमार मेहता और लेखापाल अमित कुमार ने बताया कि पंजाब एंड सिंध बैंक ने कोई गारंटी जारी नहीं की है, तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
जवाब में गजेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने झारखंड बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड से स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया था। जवाब में एजेंसी के निदेशक महेश सिदगे ने बताया था कि उनके स्थानीय प्रतिनिधियों नीरज कुमार सिंह और श्याम शरण ने धोखाधड़ी की थी।
वहीं मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विसेज प्रा. लि. द्वारा 28 नवंबर 2023 को जमा की गई 5.02 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी पर भी सवाल पूछे गए। यह पूछे जाने पर कि फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद भी एजेंसियों को काम कैसे दिया गया, गजेंद्र सिंह ने चुप्पी साध ली।
इस बीच, एसीबी ने विनय चौबे के रिश्तेदार और व्यवसायी क्षिपिज त्रिवेदी से भी पूछताछ की। त्रिवेदी का एक कोचिंग संस्थान है और सूत्रों के अनुसार, वह कुछ कागजी कंपनियों का संचालन भी करते थे, जिनके माध्यम से विनय चौबे कथित रूप से अवैध धन का लेन-देन कर रहे थे।
उधर, विनय चौबे ने रिमांड के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने दलील दी है कि एसीबी ने एफआईआर दर्ज करने के दिन ही पूछताछ कर उन्हें गिरफ्तार किया, ऐसे में रिमांड की आवश्यकता नहीं थी और अदालत का आदेश रद्द किया जाना चाहिए।