Saturday, September 13, 2025

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सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव का 91 साल की उम्र में निधन

बिना खूनी संघर्ष के शीत युद्ध को करा दिया था समाप्त

रूस : सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev Death) का 91 साल की उम्र में निधन हो गया.

रूसी एजेंसियों ने अस्पताल के अधिकारियों का हवाला देते हुए उनके निधन की सूचना दी.

वो लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे.

रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने सेंट्रल क्लिनिकल अस्पताल के एक बयान के हवाले से बताया है कि

लंबी बीमारी के बाद उन्होंने मंगलवार को अंतिम सांस ली.

बता दें कि जून में उन्हें किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के बाद अस्पताल ले जाया गया था.

सोवियत संघ (Soviet Union) के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev) ने

बिना खूनी संघर्ष के शीत युद्ध को समाप्त करा दिया था. हालांकि सोवियत संघ के पतन को रोकने में नाकाम रहे थे.

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जताया शोक

मिखाइल गोर्बाचेव यूएसएसआर (USSR) के अंतिम नेता थे.

उन्हें ओजस्वी सोवियत नेता माना जाता था, जो नागरिकों को आजादी देकर लोकतांत्रिक

सिद्धांतों की तर्ज पर कम्युनिस्ट शासन में सुधार लाना चाहते थे.

क्रेमलिन के एक प्रवक्ता ने मीडिया से कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने

सोवियत राजनेता के निधन पर अपनी गहरी सहानुभूति व्यक्त की है.

सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव का 2 मार्च 1931 में हुआ था जन्म

पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव का जन्म 2 मार्च 1931 को एक गरीब परिवार में हुआ था.

1985 में सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बनने पर, केवल 54 वर्ष की आयु में

उन्होंने सीमित राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता की शुरुआत करके व्यवस्था को पुनर्जीवित

करने के लिए निर्धारित किया था, लेकिन उनके सुधार नियंत्रण से बाहर हो गए.

जब 1989 में साम्यवादी पूर्वी यूरोप के सोवियत ब्लॉक राष्ट्रों में लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शन तेज हो गए,

तो उन्होंने बल प्रयोग करने से परहेज किया था.

सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति को नोबेल शांति पुरस्कार से किए गए थे सम्मानित

राष्ट्रपति पद से हटने के बाद मिखाइल गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev) को दुनियाभर में कई अवार्ड्स (Awards) और सम्मान दिए गए. गोर्बाचेव को 1990 में नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से भी सम्मानित किया गया. शीत युद्ध को बिना रक्तपात के खत्म करने में उन्होंने काफी अहम भूमिका निभाई थी और इसी वजह से उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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