घाटशिला उपचुनाव झारखंड की बड़ी सियासी जंग है। सीएम हेमंत के खिलाफ चार पूर्व सीएम मैदान में, बीजेपी उम्मीदवार को लेकर सस्पेंस जारी।
रांची: झारखंड की राजनीति में घाटशिला उपचुनाव केवल एक सीट की जंग नहीं बल्कि प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुकी है। इस चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने चार पूर्व मुख्यमंत्रियों की परीक्षा होगी। सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) हेमंत सोरेन और झामुमो के उम्मीदवार सोमेश सोरेन के खिलाफ किस चेहरे पर दांव लगाएगी।
झामुमो ने स्वर्गीय रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन को प्रत्याशी बनाने की सिफारिश कर दी है। लेकिन बीजेपी अब तक अपने पत्ते खोलने से बच रही है। पार्टी के भीतर यह चर्चा तेज है कि क्या बीजेपी नया चेहरा लाएगी या फिर पुराने नेताओं पर ही भरोसा करेगी।
Key Highlights
घाटशिला उपचुनाव में सीएम हेमंत सोरेन बनाम चार पूर्व सीएम
झामुमो ने सोमेश सोरेन को उम्मीदवार बनाया
बीजेपी में उम्मीदवार चयन को लेकर सस्पेंस बरकरार
चंपाई सोरेन, रघुवर दास, अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी की साख दांव पर
चुनाव से तय होगा बीजेपी की रणनीति और झामुमो की पकड़
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन अपने बेटे बाबूलाल सोरेन को टिकट दिलाने की कोशिश में हैं, हालांकि 2019 की बड़ी हार उनके नाम जुड़ी है। लखन चंद्रमा और डॉ. सुनीता देवदूत सोरेन भी विकल्प के तौर पर चर्चा में हैं। वहीं, रघुवर दास, अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी जैसे दिग्गजों की साख भी इस चुनाव से जुड़ी है।
रघुवर दास घाटशिला को अपनी राजनीतिक परीक्षा मान रहे हैं। अर्जुन मुंडा संगठन में सक्रियता साबित करने की कोशिश करेंगे, जबकि बाबूलाल मरांडी पर भी प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद दबाव है कि वे जीत दिलाकर अपनी उपयोगिता साबित करें। चंपाई सोरेन के लिए यह चुनाव अस्तित्व की जंग माना जा रहा है क्योंकि वे झामुमो छोड़कर बीजेपी में आए हैं और अभी तक पूरी पकड़ नहीं बना पाए हैं।
बीजेपी लगातार हेमंत सरकार को कानून-व्यवस्था, बेरोजगारी और महिला सुरक्षा के मुद्दे पर घेर रही है। घाटशिला उपचुनाव इस बात की परीक्षा होगी कि जनता वाकई इन मुद्दों पर बीजेपी के साथ खड़ी होती है या नहीं।
कुल मिलाकर यह उपचुनाव सिर्फ उम्मीदवारों का नहीं बल्कि हेमंत सोरेन और चार पूर्व मुख्यमंत्रियों की राजनीतिक हैसियत का भी फैसला करेगा।
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