दरभंगा : सावन के महीने में शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कठिन से कठिन पूजा-अर्चना करते हैं। कोई सुल्तानगंज से डाक बम बन 14 घंटे में जल चढ़ाता है तो कोई दंडवत बाबा नगरी पहुंचता है। कोई कंधे पर कावड़ लेकर डाक बम बनकर बाबा नगरी पहुंचता है। भगवान भोलेनाथ के एक ऐसे ही भक्त हैं दरभंगा लहेरियासराय निवासी गिरीश मंडल जो पिछले 46 साल में 190 बार डाक बम बनकर बाबा भोले नाथ को चल चढ़ा चुके है। वहीं 191 बार के लिए पुनः निकल चुके हैं। सावन कि आखिरी सोमवार को बाबा नगरी देवघर पहुंचकर बाबा का जलाभिषेक करेंगे।
गिरीश मंडल की यह यात्रा 14 घंटे में पूरी हो जाती है
आपको बता दें कि गिरीश मंडल की यह यात्रा 14 घंटे में पूरी हो जाती है। वह साल 1979 ये लगातार देवघर जाते हैं। पेशे से आयकर विभाग में पाइवेट डाटा ऑपरेटर का काम करते है लेकिन आस्था इतनी गहरी है कि वे पिछले 46 वर्षों से बाबा धाम जाते रहे हैं। इतना ही नहीं सावन के हर सोमवार को जल चढ़ाने के लिए सुल्तानगंज से कांवर लेकर जल भरते हैं और 105 किलोमीटर पैदल चलकर बाबा बैद्यनाथ को जल चढ़ाते हैं।
सावन के प्रत्येक सोमवारी डाक कांवर बम के रूप में प्रसिद्ध हैं – गिरीश मंडल
गिरीश मंडल बताते है कि जो सावन के प्रत्येक सोमवारी डाक कांवर बम के रूप में प्रसिद्ध हैं, 1979 से डाक कांवर यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 190 डाक कांवर पूर्ण किए और 191 वीं यात्रा पर बाबाधाम जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका संकल्प 201 डाक कांवर चढ़ाने का है और भोलेनाथ की कृपा से उनका परिवार सुख-शांति से आगे बढ़ रहा है। वे अपने उत्तराधिकारी की तलाश में हैं, जो इनकी परंपरा को आगे जारी रख सके। उसे अपनी डाक कांवर परंपरा सौंपना चाहते हैं। उनके साथ कई सहयोगी हैं, जो विभिन्न माध्यम से काबर यात्रा से जुड़े हुए हैं।
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गिरीश ने कहा- हम एकलौता डाक कांवड़ बम है जो कावड़ में जल लेकर कांधा पर लेकर जाते हैं
वहीं उन्होंने यह भी बताया बहुत लोग डाक बम बनकर जाते है। लेकिन देश में हम एकलौता डाक कांवड़ बम है जो कावड़ में जल लेकर कांधा पर लेकर जाते हैं। उम्र भले 79 का हो गया है लेकिन बाबा के प्रति आस्था और बढ़ता ही जा रहा हैं। वहीं उन्होंने मांग करते हुए झारखंड सरकार से कहा है कि सुलतानगंज के बाद सरकार को जो बुजुर्ग कावड़ यात्रियों के जल चढ़ाने के लिए विशेष व्यवस्था होने से सहूलियत होगी। 79 वर्षीय गिरीश मंडल सिर्फ एक भक्त नहीं, बल्कि आस्था की एक मिसाल हैं। जो दर्शाती है कि अगर सच्ची लगन हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती। उनकी यात्रा दर्शाती है कि जब मन में आस्था और हृदय में भक्ति हो तो ईश्वर राह जरूर दिखाते हैं।
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वरुण ठाकुर की रिपोर्ट
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