भगवान को भी लगती है ठंड, सर्दी से बचाने के लिए गया के इस्कॉन मंदिर में भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाए गए, हीटर लगेगें

गया. भगवान के प्रति अटूट आस्था का उदाहरण बिहार के गया में देखा जा सकता है. इस समय जब ठंड बढ़ गई है. शीतलहरी चल रही है. आम से लेकर खास लोगों ने ठंढ से बचाव के लिए ऊनी वस्त्र पहनने शुरू कर दिए हैं. किंतु इसके बीच भक्तों की अनूठी आस्था भगवान के प्रति देखने को मिल रही है और यह आस्था है भगवान को सर्दी से बचने के लिए उन्हें उनी वस्त्र पहनाने की. इतना ही नहीं जब ठंढ और बढ़ेगी तो हीटर भी भगवान के लिए लगाए जाएंगे.

गया के इस्कॉन मंदिर में भगवान को ठंढ न लगे, इसके लिए पहनाए गए ऊनी वस्त्र

गया का इस्कॉन मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर में राधे कृष्ण, बलराम, माता सुभद्रा, सुदर्शन जी की प्रतिमा है. ठंढ के दिनों में भगवान की प्रतिमाओं को उनी वस्त्र पहनाए गए हैं. उनी वस्त्र इसलिए पहनाए गए हैं, क्योंकि ठंड का मौसम है और भगवान को भी ठंड लगती है. भगवान को ठंड से बचाने के लिए उन्हें उलेन वस्त्र पहनाए गए हैं. यह भक्तों की भगवान के प्रति अनूठी आस्था दिखती है. बड़ी बात यह है कि यहां माता तुलसी भी विराजमान हैं, माता तुलसी को भी ठंढ से बचाने के लिए उन्हें शाॅल ओढाया गया है.

सभी प्रतिमाओं को पहनाए गए हैं ऊनी वस्त्र, यह भक्तों की अनूठी आस्था

इस्कॉन मंदिर में भगवान की जितनी भी प्रतिमाएं हैं. सभी को उनी वस्त्र पहनाए गए हैं. आकर्षक ऊलेन के वस्त्र भगवान जी को पहनाए गए हैं. इस तरह इस्कॉन मंदिर के भक्त भगवान जी को व्यक्ति मानते हैं. वे कहते हैं, कि जिस तरह एक व्यक्ति अपने परिवार के लिए ख्याल रखना है, तो उसी तरह एक भक्त अपने भगवान जी के लिए भी ख्याल रखता है. भगवान तो प्रेम स्वीकार करते हैं. भगवान कृष्ण, भगवान राम भी एक व्यक्ति के रूप में आए थे. इधर, ठंड बढ़ते ही भगवान जी को उन्हें वस्त्र पहनाए जाने के बाद यह इस्कॉन मंदिर काफी चर्चित हो रहा है. वहीं, भक्त भगवान के ऊनी वस्त्र में दर्शन करने को आ रहे हैं. जानकारी हो, कि गर्मी के दिनों में भगवान के लिए पंखे और एसी की व्यवस्था की जाती है, जबकि ठंड के दिनों में उनी वस्त्र पहनाए और हीटर लगाए जाते हैं. इस तरह भगवान जी का इस्कॉन मंदिर में सालों भर ख्याल रखा जाता है. यह भक्तों और भगवान की अनूठी आस्था दर्शाती है.

सर्दी-गर्मी से ऊपर हैं भगवान, किंतु प्रेम स्वीकारते हैं, भागवत गीता में भी लिखा गया है

इस संबंध में इस्कॉन मंदिर गया के अध्यक्ष जगदीश श्याम दास बताते हैं, कि भगवान भावग्रही हैं. वह प्रेम के भूखे हैं. भगवान जी तो सर्दी-गर्मी से ऊपर हैं, क्योंकि भगवान जी का शरीर सच्चिदानंद है, लेकिन भगवान प्रेम स्वीकार करते हैं. भक्त भोग लगाते हैं तो भगवान उसे प्रेम से स्वीकार करते हैं. भागवत गीता में भी है कि भगवान भक्तों द्वारा दिए गए अन्न-जल आदि को ग्रहण करते हैं. अभी सर्दी का समय है, तो भक्तों का भाव है कि उन्हें सर्दी लगेगी. ऐसे में गया के इस्कॉन मंदिर में भगवान जी को गर्म कपड़े पहनाए गए हैं. आने वाले दिन में हीटर भी चलाए जाएंगे. जगदीश श्याम दास बताते हैं कि भगवान एक व्यक्ति हैं. भगवान कृष्ण, भगवान राम भी एक व्यक्ति के रूप में आए थे. इस नजरिए से भगवान एक व्यक्ति हैं. जिस तरह से परिवार का मुखिया होता है, उस तरह से हमारे इस मंदिर के मालिक भगवान जी हैं और यह हम भक्तों का भगवान जी के प्रति प्रेम है, कि उन्हें गर्म वस्त्र पहनाया जा रहा है. वही गर्म पानी का ही उपयोग किया जा रहा है.

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