पटना : बिहार सरकार ने अपने जलवायु, वित्त और सतत लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए कई पहलों की घोषणा की। जिसमें वित्त विभाग के अंतर्गत एक जलवायु वित्त प्रकोष्ठ का गठन और नवंबर में राज्य की नवकरणीय ऊर्जा नीति का अंतिम दिशा देना शामिल है। ये घोषणाएं सोमवार को वित्त विभाग द्वारा WRI इंडिया के सहयोग से आयोजित बिहार जलवायु वित्त शिखर सम्मेलन के दौरान की गई।
अपने संबोधन में बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने जलवायु वित्त को सुरक्षित करने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अविभाजित बिहार में, झारखंड ने राजस्व का 87 फीसदी योगदान दिया, जबकि बिहार ने केवल 13 फीसदी योगदान दिया। वर्तमान सरकार ने आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए वित्तीय संसाधन सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किए है। हमने अपने हरित आवरण को 10 फीसदी से बढ़ाकर लगभग 16 फीसदी कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि जलवायु से जुडे अन्य कार्यों में सौर ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना शामिल है।
मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु वित्त प्रकोष्ठ के निर्माण के प्रस्ताव पर विचार किया जाना चाहिए। शासकीय प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने गया में फल्गु नदी पर रबर डैम के निर्माण और राजगीर, गया और नवादा जैसे शहरों के लिए गंगा जल लिफ्ट योजना का उदाहरण दिया। उन्होंने सड़क चौड़ीकरण के लिए अत्यधिक भूजल दोहन, पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगाने का आह्वान किया और प्राथमिक शिक्षा में पर्यावरण अध्ययन को शामिल करने पर बल दिया।
विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत ने शासकीय प्रयासों के पूरक के रूप में जलवायु पहलों में निजी क्षेत्र की भागीदारी के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि बिहार उन 25 राज्यों में से एक है, जिनके पास नवीन राज्य जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना है। हमने अपने हरित बजट घटक को सात फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है और जल जीवन हरियाली और बिहार विकास मिशन पहल के तहत विभिन्न प्रयासों को लागू कर रहे हैं।
वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर ने कहा कि राज्य के जलवायु वित्त प्रकोष्ठ के गठन का प्रस्ताव जल्द ही राज्य सरकार को भेजा जायेगा तथा राज्य सरकार के अनुमोदनोपरांत इसका गठन किया जाएगा। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की मंजूरी मिलने पर हम जल्द ही वित्त विभाग के अंतर्गत जलवायु वित्त प्रकोष्ठ की स्थापना करेंगे। इसके मुख्य कार्यों में हरित या जलवायु-संबंधित परियोजनाओं की पहचान करना, वित्त पोषण सुनिश्चित करना, जलवायु वित्त तक पहुंचने में अन्य विभागों को सहायता प्रदान करना तथा इन हरित पहलों का पर्यवेक्षण एवम मूल्यांकन करना शामिल होगा।
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (बीएसडीएमए) के उपाध्यक्ष उदय कांत मिश्रा ने बाढ़ व बाढ़ सुरक्षा उपायों के पर्यवेक्षण पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ बीएसडीएमए के सहयोगात्मक कार्य को समझाया। उन्होंने शहरी बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने के लिए ‘डिजिटल टि्विन’ तकनीक पर भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के साथ बीएसडीएमए के काम का उल्लेख किया। जलवायु वित्त को संबोधित करते हुए पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने नीतियों को वित्त पोषण से जोड़ने पर चर्चा की। उन्होंने सुझाव दिया कि बिहार सरकार प्राकृतिक संसाधनों या संरक्षण प्रयासों से जुडे लेन-देन पर उपकर या इसी तरह के शुल्क लगाने पर विचार कर सकती है, जिससे प्राप्त राशि का उपयोग हरित परियोजनाओं को वित्त पोषित करने के लिए किया जा सके।
जल संसाधन के प्रधान सचिव संतोष कुमार मलल्ल ने जलवायु संबंधी आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि नेपात्र में हाल ही में 27-28 सितंबर को 400 मिमी से अधिक बारिश हुइड, एक ऐसी घटना जिसका उनके बाढ़ प्रबंधन प्रणालियों ने सफलतापूर्वक पूर्वानुमान लगाया था। परन्तु बाढ़ को रोकने के प्रयास अनिवार्य हैं। परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने हरित परियोजनाओं के लिए अलग से बजट आवंटन पर बल दिया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि मौजूदा आवंटन के भीतर ही धन निर्धारित करने के बजाय हम विशेष रूप से हरित परियोजनाओं के लिए एक निश्चित प्रतिशत आवंटित कर सकते हैं। निजी क्षेत्र को भी जलवायु वित्त में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है।
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ऊर्जा विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल ने कहा कि नई आरई नीति नवंबर में शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने आगे बताया कि हमने पहले ही लगभग 33 फीसदी कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से जोड़ दिया है। शहरी विकास और आवास विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने अपने उद्बोधन में शहरी हरित परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त और शहरी विकास विभागों के बीच समन्वय की आवश्यकता पर चर्चा की। उन्होंने पटना में अपशिष्ट से ऊर्जा पहल, गंगा के किनारे सीवेज उपचार संयंत्र और वर्षा जल संचयन पर प्रकाश डाला। वित्त विभाग के सचिव आशीमा जैन ने निजी जलवायु वित्त को आकर्षित करने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र अकेले जलवायु वित्त की पूरी मांग को पूरा नहीं कर सकता। निजी क्षेत्र को सार्वजनिक-निजी भागीदारी के ढांचे, तकनीकी क्षमता निर्माण और ग्रीन बॉन्ड्स तथा कार्बन क्रेडिट जैसे वित्तीय साधनों की समझ में सहायता की आवश्यकता है।
पटना प्रमंडल के आयुक्त मयंक वरवड़े ने 2070 तक नेट जीरो तक पहुंचने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रणनीति का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर आरम्भ हो चुका है एवं प्रगति दिखाई दे रही है। मुख्य वन संरक्षक सह राज्य नोडल अधिकारी, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन एस चंद्रशेखर ने बिहार में हरित आवरण बढ़ाने पर बल दिया, जिसमें अधिसूचित वन क्षेत्रों में वनरोपण और वन क्षेत्र के बाहर कृषि वानिकी को प्रोत्साहित करना शामिल है। डब्लूआरआई इंडिया में जलवायु, अर्थशास्त्र और वित्त (सीईएफ) की कार्यपालन संचालक उल्का केलकर ने अजरबैजान में आगामी COP 29 को देखते हुए कार्यशाला की समयबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु वित्त को एक केंद्रीय मुद्दा मानते हुए यह कार्यशाला बिहार के जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप जलवायु वित्त के अभिगम ओर संग्रहण के लिए अनुभवों और प्राथमिकताओं को साझा करने हेतु एक मंच प्रदान करती है।
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