रांची: झारखंड के रानी अस्पताल में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के तीसरे संदिग्ध बच्चे को भर्ती किया गया है। दो दिन पहले भर्ती हुए इस बच्चे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण पाए गए हैं, जिसके आधार पर इलाज किया जा रहा है। डॉ. राजेश कुमार, अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक और संचालक, ने बताया कि बच्चे को हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखा गया है और दवा शुरू होने के बाद उसकी स्थिति में हल्का सुधार हुआ है।
हालांकि, रिम्स में भर्ती सात साल की बच्ची और बालपन अस्पताल में भर्ती साढ़े पांच साल की बच्ची की स्थिति में पहले से सुधार देखा गया है, लेकिन दोनों बच्चों में हाथ-पैर की कमजोरी अभी भी बनी हुई है। डॉ. राजेश ने कहा कि सुधार में थोड़ा समय लगेगा, खासकर उन बच्चों की स्थिति में जो गंभीर रूप से भर्ती हुए थे।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण वायरल से मिलते-जुलते होते हैं, जैसे बुखार, हाथ-पैर में कमजोरी, डायरिया के बाद कमजोरी, और सांस लेने में दिक्कत। हालांकि, डॉ. अनिताभ ने अभिभावकों को घबराने की बजाय लक्षणों पर ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से प्रभावित अधिकांश लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ में हल्की कमजोरी कुछ दिनों तक बनी रह सकती है।
रिम्स के निदेशक डॉ. राजकुमार ने बताया कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के इलाज और जांच के लिए रिम्स पूरी तरह से तैयार है। यहां इस बीमारी के लिए विशेष बेड की व्यवस्था की गई है और लैब में जांच की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि अगर सांस लेने में समस्या होती है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन वायरल के लक्षण सबको नहीं होते, इसलिए ज्यादा चिंता की आवश्यकता नहीं है।