Sunday, August 17, 2025

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नेमरा में गुरुजी का संस्कार भोज: 12 से अधिक व्यंजन, विशाल पंडाल और चाक-चौबंद सुरक्षा

रामगढ़ : रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में आज दिवंगत झामुमो सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के श्राद्धकर्म के तहत संस्कार भोज का आयोजन किया गया। गुरुजी के पैतृक गांव में इस भोज के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं।

भोज के लिए पांच विशाल पंडाल बनाए गए हैं जिन्हें गुरुजी की तस्वीरों से सजाया गया है। पंडालों में एसी और कूलर की व्यवस्था की गई है ताकि आगंतुकों को किसी तरह की परेशानी न हो। जानकारी के अनुसार, लगभग 300 चूल्हों पर 12 से 13 प्रकार के व्यंजन तैयार किए गए हैं। इनमें मिठाइयां, मांस, मछली, चावल, पूरी, सलाद और विभिन्न प्रकार की सब्जियां शामिल हैं।

नेमरा में गुरुजी का संस्कार भोज: 12 से अधिक व्यंजन, विशाल पंडाल और चाक-चौबंद सुरक्षा
नेमरा में गुरुजी का संस्कार भोज: 12 से अधिक व्यंजन, विशाल पंडाल और चाक-चौबंद सुरक्षा

संस्कार भोज में हजारों लोग शामिल हो रहे हैं। पंडालों में भोजन परोसने की समुचित व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध किए गए हैं। विभिन्न जगहों पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी तैनात हैं ताकि किसी भी आगंतुक को कोई समस्या न हो।

भोज में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, योग गुरु बाबा रामदेव, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी सहित कई दिग्गज नेताओं और देशभर से आए गणमान्य व्यक्तियों के पहुंचने की संभावना है।

गुरुजी के आवास तक जाने वाली सड़क को नया रूप दिया गया है। गोला रोड से लेकर नेमरा तक नई सड़क बनाई गई है और मार्ग के दोनों ओर गुरुजी के बड़े-बड़े कटआउट लगाए गए हैं। साथ ही हजारों स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं और बिजली गुल होने पर जनरेटर की भी व्यवस्था रखी गई है।

नेमरा में गुरुजी का संस्कार भोज: 12 से अधिक व्यंजन, विशाल पंडाल और चाक-चौबंद सुरक्षा
नेमरा में गुरुजी का संस्कार भोज: 12 से अधिक व्यंजन, विशाल पंडाल और चाक-चौबंद सुरक्षा
नेमरा में गुरुजी का संस्कार भोज: 12 से अधिक व्यंजन, विशाल पंडाल और चाक-चौबंद सुरक्षा
नेमरा में गुरुजी का संस्कार भोज: 12 से अधिक व्यंजन, विशाल पंडाल और चाक-चौबंद सुरक्षा

गौरतलब है कि 4 अगस्त को दिल्ली के एक अस्पताल में शिबू सोरेन का निधन हो गया था। उनके निधन के बाद से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार नेमरा गांव में मौजूद हैं और उन्होंने ही अपने पिता को मुखाग्नि दी थी। तब से लेकर अब तक वह श्राद्धकर्म की परंपराओं को निभा रहे हैं।

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