रांची: झारखंड की सियासी जंग में एनडीए ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के “राजा” से मुकाबले का बिगुल तो फूंका, मगर टुंडी और बरहेट सीटों पर उम्मीदवार घोषित करते ही हालात ऐसा मोड़ ले चुके हैं कि एनडीए का कुनबा खुद में उलझ गया है। बीजेपी ने टुंडी सीट से विकास महतो को प्रत्याशी बनाया, मगर ये फैसला पार्टी के भीतर गहरे असंतोष का कारण बन गया। अब हालात यह हैं कि पार्टी के कई नेता एनडीए के मंच से उतरकर अपने ही खेमें में “पीठ में छुरा” घोंपने के अंदाज में बगावत पर उतर आए हैं।
पुराने और वरिष्ठ नेता राम प्रसाद महतो ने विकास महतो की उम्मीदवारी का विरोध करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। ओबीसी मोर्चा के महादेव कुंभकार ने भी अपने पर्चे दाखिल करने की तैयारी कर ली है। वहीं, आजसू पार्टी के कुछ नेताओं ने भी उम्मीदवार चयन पर नाराजगी जताई है, जो एनडीए में दरार की गहरी वजह बन चुकी है।
दूसरी ओर, झामुमो ने अपने मजबूत उम्मीदवार मथुरा प्रसाद महतो को एक बार फिर से मैदान में उतारा है, जो इस सीट से लगातार चुनावी सफलता हासिल करते आ रहे हैं। एनडीए के भीतर कलह के चलते, यह कहना मुश्किल नहीं कि झामुमो के “राजा” से लड़ने आए एनडीए के योद्धाओं के लिए यह चुनौती कहीं बड़ी हो गई है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार टुंडी का रण त्रिकोणीय संघर्ष में तब्दील हो चुका है। एनडीए की ओर से पीठ में छुरा घोंपने जैसे हालात के बीच, इस बार का चुनावी संघर्ष झामुमो के खिलाफ कम और एनडीए के भीतर बढ़ते असंतोष की मिसाल ज्यादा बन गया है।