हाथरस : Hathras Stampede Follow-up – सत्संग के लिए कमीशन पर जुटता था मोटा चंदा, मौत वाले गड्ढे और नाली तक पहुंची न्यायिक जांच आयोग की टीम। हाथरस हादसे की जांच ज्यों-ज्यों आगे बढ़ रही है, त्यों-त्यों पूरे प्रकरण से जुड़े चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। ताजा अपडेट यह है कि बीते 2 जुलाई को जिस सत्संग के दौरान हादसा हुआ था उसके लिए 30 फीसदी के कमीशन पर सेवादारों ने मोटा चंदा जुटाया था। जुटाए गए चंदे का 70 फीसदी रकम बाबा के ट्रस्ट के पास जमा होता था। इस बीच रविवार को सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर गठित हादसे की जांच के लिए न्यायिक आयोग की टीम फिर से घटनास्थल पर पहुंची। सिकंदराराऊ के गांव फुरलई मुगलगढ़ी में हुए हादसे की जांच करने पहुंचे न्यायिक आयोग के सदस्यों को अधिकारियों ने सड़क किनारे वह गड्ढा और नाली देखा, जिसमें गिरकर सर्वाधिक श्रद्धालुओं की मौतें हुईं थीं।
न्यायिक टीम को मिले यह अहम इनपुट
पंडाल में जितने लोग थे, उससे ज्यादा बाहर बैठा दिए गए थे एवं पीने के पानी का भी पर्याप्त इंतजाम इनके द्वारा नहीं किया गया था। पुलिस वालों को वीडियोग्राफी तक नहीं करने दी गई और उनके खिलाफ सेवादारों ने बल प्रयोग भी किया था। भीड़ को बाबा के काफिले से दूर करने के लिए धक्का-मुक्की की गई। कई सेवादारों ने लोगों पर लाठियां तक भांजी थीं। भगदड़ में गिरीं महिलाओं की सुध तक किसी ने नहीं ली। मदद करने की बजाय सभी मौके से फरार हो गए थे और आयोजकों द्वारा भगदड़ की सूचना भी प्रशासन को नहीं दी गई।
न्यायिक आयोग ने जाना कि कैसे हुई 100 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौतें
न्यायिक आयोग की टीम को हादसास्थल पर घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए सीओ डॉ. आनंद यादव और कोतवाली निरीक्षक आशीष कुमार सिंह ने बताया कि हादसे वाले दिन सत्संग स्थल के पास पानी के छिड़काव के कारण सड़क से नीचे फुटपाथ पर कीचड़ हो गया था। भगदड़ के दौरान बचने के लिए भीड़ खाली खेत की तरफ भागी तो फिसलन के कारण श्रद्धालु नाली में गिरते गए। कुछ नाली से निकलकर दलदली खेत में पहुंच गए। जो नाली में गिरे, लोग उन्हें पांवों से रौंदते हुए आगे बढ़ते गए। खेत में दलदल होने के कारण महिलाएं वहां चल नहीं सकीं और गिर गईं। ज्यादातर मौतें वहीं पर हुईं। सड़क पर बेहोश हुई महिलाओं के ऊपर फायर ब्रिगेड की गाड़ी से पानी डाला गया, जिसके बाद काफी महिलाएं होश में आ गईं।
न्यायिक आयोग को मिला सत्संग के आयोजकों की करतूत का ब्योरा
न्यायिक आयोग के सदस्यों ने हादसे के दौरान सत्संगस्थल पर रहे हालात का इनपुट भी विस्तार से जुटाया। उन्हें जांच टीमों की ओर से बताया गया कि सिकंदराराऊ के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में सत्संग के बाद हुए हादसे के बाद मुख्य आयोजक देवप्रकाश ने भयावह मंजर देखा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। भीड़ में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। पंडाल में जितने लोग बैठे थे उससे ज्यादा पंडाल के बाहर थे। भगदड़ में मरने वाले सभी 121 लोग पंडाल के बाहर ही बैठे थे। पंडाल वाले लोग तो उस वक्त तक बाहर आ ही नहीं आ सके थे। आयोजकों ने भीड़ के बीच से बाबा का काफिला गुजारा था। इससे ही हालात बिगड़ गए। दूसरे सेवादारों ने भी भीड़ के साथ धक्का-मुक्की की, जिससे भगदड़ मची। सेवादार आसपास के लोगों को भी मदद नहीं करने दे रहे थे। वह मददगारों से भी भिड़ गए थे और भीड़ पर डंडे भी बरसाए थे। जब सेवादारों को लगा कि हालात बेकाबू हो गए हैं तो सभी भागने लगे थे।
न्यायिक आयोग को पुलिस ने बताया कि बाबा और मधुकर की खंगाली जा रही कॉल डिटेल
सत्संग के बाद भगदड़ में जब लोगों की मौत हुई थी, तब मधुकर ने ही बाबा को इसकी जानकारी दी थी। इस बारे में पुलिस ने न्यायिक जांच आयोग के सदस्यों को बताया कि कॉल डिटेल खंगाली जा रही हैं। सही तस्वीर सामने आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। मुख्य आरोपी सेवादार देवप्रकाश उर्फ मधुकर ने आनन-फानन अपना फोन को बंद कर लिया और मौके से भाग खड़ा हुआ। देव प्रकाश वहां से निजी वाहन से एटा और फिर दिल्ली पहुंच गया जहां उसका साला एक निजी कंपनी में नौकरी करता है। घटना के बाद से यह अपने साले के यहां ही छुपा था। जांच टीमों ने आयोजन के पोस्टरों और होर्डिंग को कब्जे में ले लिया है। उन पर लिखे नामों की सूची तैयार कर छानबीन की जा रही है। अब तक पोस्टर पर दर्ज नामों के आधार पर मुख्य आयोजक सहित तीन को गिरफ्तार कर लिया है जबकि शेष आरोपियों की तलाश जारी है। मुख्य आरोपी देवप्रकाश व सहआरोपी संजू यादव को 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।

जांच में मिला सत्संग के नाम फंड जुटाने को फैला विस्तृत मकड़जाल का खेल
हाथरस हादसे की जांच में जुटी विशेष पुलिस टीम के हाथ कई अहम तथ्य हाथ लगे हैं। इनमें पीड़ितों से लेकर हिरासत में लिए गए आरोपियों की जुबानी, जुटाए गए इलेक्ट्रानिक और भौतिक साक्ष्य और लगातार मिले तथ्यों से सत्संग के नाम मोटा फंड जुटाने का परदे के पीछे का बड़ा खेल सामने आया है। इसके लिए सेवादारों के नाम पर मकड़जाल सरीखा एक बड़ा नेटवर्क भी मिला है। मधुकर से पूछताछ के बाद पुलिस पता चला है कि वह सत्संग आयोजन के लिए फंड इकट्ठा करने का काम करता था। भोले बाबा के सभी बड़े आयोजनों की जिम्मेदारी भी उसके हाथ में रहती थी। इस समिति के सदस्य उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ में बताए जा रहे हैं। हाथरस में सत्संग कराने की जिम्मेदारी भी उसे ही दी गई थी। उसी ने एसडीएम सिंकदराराऊ से सत्संग की अनुमति ली थी। इस सत्संग का बड़ा प्रचार-प्रसार किया गया। शहर में ही 50 से ज्यादा बोर्ड लगाए गए। इस सत्संग के लिए भी बड़े पैमाने पर चंदा हुआ। कई सियासी दलों के लोग भी मधुकर के संपर्क में थे और फंडिंग करते थे। सिंकदराराऊ में भी सत्संग की अनुमति के लिए कई पार्टियों के नेताओं ने अपने सिफारिशी पत्र भी आवेदन के साथ लगाए थे। हाथरस जिले के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में सत्संग के आयोजन के लिए पिछले एक महीने से चंदा जुटाया जा रहा था। करीब 30 से ज्यादा लोगों की टीम गांव-गांव जाकर अपने समाज के लोगों से पैसा इकट्ठा कर रही थी। आयोजन के लिए ही 70 लाख से ज्यादा का चंदा तो हाथरस क्षेत्र के लोगों से ही हो चुका था जबकि एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की भी है, जो आनलाइन पैसा भेज रहे थे। चंदे के लिए जिसकी जो आस्था हो वह दे सकता था। सत्संग के दानियों में 100 रुपये देने वाले भी थे और 20 हजार देने वाले भी। समिति से जुड़े लोग जब चंदा इकट्ठा कर लेते थे तो मधुकर को सौंप देते थे। बाद में इस पैसे को ट्रस्ट में जमा कर दिया जाता था। जांच में पुलिस को मिला है कि चंदे की 30 फीसदी रकम इकट्ठा करने वाले को मिलता है जबकि 70 फीसदी ट्रस्ट में जमा कर दिया जाता है। इसकी कोई रसीद नहीं दी जाती बल्कि डायरी में सारा लेखाजोखा रहता है।
10 साल में भोले बाबा का खास बन गया मुख्य आरोपी मधुकर
पुलिस गिरफ्त में आया देवप्रकाश मधुकर वैसे तो एटा का रहने वाला है लेकिन मौजूदा समय में वह सिकंदराराऊ के मोहल्ला दमदपुरा नई कॉलोनी में रह रहा है। यहीं पर वह 10 साल पहले भोले बाबा की मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम समिति से जुड़ गया था। कुछ ही समय में उसे मुख्य सेवादार का दर्जा दे दिया गया और भोले बाबा के प्रिय शिष्यों में उसकी गिनती होने लगी है। बताया जाता है कि आमतौर पर भोले बाबा किसी से फोन पर बात नहीं करते लेकिन मधुकर से उनकी फोन पर बात होती थी। कई सरकारी विभागों में उसने सत्संग समिति के सदस्य बना रखे हैं। अधिकारियों तक को जोड़ रखा है। पुलिस की जांच कमेटी ने अब इस दिशा में भी काम शुरू कर दिया है। पुलिस को जानकारी मिली है कि एक विभाग में तो बाकायदा बाबा का फोटो लगा हुआ था। जब हाथरस हादसा हुआ तो तस्वीर हटा दी गई है। वहीं कुछ सेवानिवृत अधिकारी भी फुले बाबा से जुड़े हैं और वह भी जगह जगह सत्संग के आयोजन कराते हैं। ऐसे कुछ सेवानिवृत अधिकारियों के बारे में पुलिस को जानकारी मिल गई है और उनसे भी पूछताछ की तैयारी है।
कोर्ट से जेल ले जाते समय मुंह के बल गिरा मधुकर, पुलिस के छूटे पसीने
हाथरस सत्संग हादसे के मुख्य आरोपित देव प्रकाश को शनिवार को न्यायालय में पेशी से लेकर जेल भेजने तक की प्रकिया में पुलिस के पसीने छूट गए। न्यायालय से जेल जाने के दौरान जल्दबाजी में आरोपित मुंह के बल गिरा। उसे आनन फानन उठाकर पुलिसकर्मी जेल लेकर गए। मीडिया ने उससे सवाल करना चाहा लेकिन वह चुप रहा । शनिवार उसे कोर्ट में पेश करने से पहले मधुकर का चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया। उस दौरान जिला अस्पताल में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। मीडिया ने देव प्रकाश मधुकर से सत्संग में भगदड़ और अन्य सवाल किए, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। पुलिस मीडिया से बचाने के लिए मधुकर को पीछे के दरवाजे से दौड़ाकर बाहर लाई, तभी वह मुंह के बल गिर पड़ा था। पुलिसकर्मियों ने उसे तेजी से संभाला और फिर दौड़ाते हुए जीप में बिठाकर ले गए।