Patna-गुजरात और बिहार मॉडल-जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में इन 17 वर्षो में हुए बदलाव को रेखांकित करते हुए कहा है कि 2005 से पहले बिहार में मात्र तीन मेडिकल कॉलेज था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों से इन 17 वर्षों में यह आंकड़ा 15 तक पहुंच गया.
आंकड़ों में समझे गुजरात और बिहार मॉडल
नीतीश कुमार के पहले बिहार में नर्सों के भारी कमी थी, हमारे यहां केरला से नर्से काम करने आती थी, लेकिन अब हालत यह है कि हमारी बेटियां देश के दूसरे हिस्सों जाकर काम कर रही है. इन वर्षों में चिकित्सकों की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है, लेकिन कुछ लोग नीतीश कुमार की छवि खराब करने में लगे हैं.
इस अवसर पर डॉ सुनील कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में आये बदलाव को सब देख रहे हैं. जिस गुजरात मॉडल की बात भाजपा करते रहती है, उसकी सच्चाई कुछ और ही है. उसमें कुछ भी दिखलाने लाइक भी नहीं है, नहीं तो भाजपा दोनों राज्यों के आंकडों को सामने रख उसका अध्ययन करें, दोनों राज्यों के कार्यों के तुलनात्मक अध्ययन से गुजरात मॉडल की सच्चाई सामने आ जायेगी.
लेकिन भाजपा सिर्फ गुजरात मॉडल गुजरात मॉडल की बात कर लोगों को भ्रमित कर रही है.
बिहार मॉडल के सामने भाजपा का गुजरात मॉडल कहीं नहीं टिकता.
यदि स्वास्थ्य सेवा की बात करें तो
बिहार में गुजरात की तुलना में दोगने लोग सरकारी अस्पतालों में
इलाज करवाने के लिए आते हैं,
गुजरात में बिहार की तुलना में दुगनी महिलाएं एनिमिक है.
बिहार में 34 फीसदी पुरुष खून की कमी से पीड़ित हैं
जबकि गुजरात में यह आंकड़ा 36 % फीसदी,
यही है गुजरात मॉडल की सच्चाई