Hazaribagh : चलो संस्कृत बोले हम, जाने क्या है इस अनोखे प्रशिक्षण केन्द्र का राज…

Hazaribagh

Hazaribagh – बोलचाल में संस्कृत भाषा विलुप्त होने की कगार में पहुंच गई है. भाषा को बचाने के लिए हजारीबाग में इन दिनों कोशिश की जा रही है. झारखंड-बिहार के लगभग 200 से अधिक विद्यार्थी संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण पा रहे हैं. प्रशिक्षण लेकर संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अपने स्कूल और मोहल्ले में भी काम करेंगे. यह बीड़ा उठाया है संस्कृत भारती ने, जो पूरे देश भर में संस्कृत को बोलचाल की भाषा में लाने के लिए मुहिम चला रखी है.

Hazaribagh : झारखंड-बिहार के 200 विद्यार्थी ले रहे संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण 

संस्कृत कई भाषा की जननी है. इन दिनों बोलचाल में संस्कृत विलुप्त हो रही है. धर्म से लेकर ग्रंथ और साहित्य तक सिमट कर रह गई है. लगभग हर जिले में अंग्रेजी बोलने के लिए कोचिंग सेंटर खुला हुआ है लेकिन संस्कृत बोलने के लिए किसी भी तरह का प्रशिक्षण केंद्र नहीं दिखता है. संस्कृत भारत की अपनी भाषा है. इसे फिर से जीवित करने और बोलचाल में लाने के लिए संस्कृत भारती काम कर रही है. हजारीबाग में झारखंड-बिहार से आए 200 विद्यार्थी संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण ग्रहण कर रहे हैं.

हजारीबाग सरस्वती विद्या मंदिर कुम्हारटोली का परिसर संस्कृत सीखने और सिखाने का अस्थाई केंद्र बना हुआ है. यहाँ विद्यार्थियों को संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. झारखंड और बिहार से पहुंचे 175 स्कूल कॉलेज के विद्यार्थी संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण ले रहे हैं. सात दिवसीय प्रशिक्षण में शामिल प्रशिक्षु एक दूसरे से दैनिक दिनचर्या की वार्तालाप भी संस्कृत में करते हैं.

Hazaribagh : गलती होने पर छात्र नहीं घबराते, शिक्षक गलती ठीक करते हैं

संस्कृत बोलने में गलती हुई तो उससे प्रशिक्षु नहीं घबराते. शिक्षक उन्हें सुधार कर बता देते हैं. इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा को बोलचाल में लाना है. ताकि समाज के लोग भी संस्कृत बोल सके और समझ सके. सुबह 5 से लेकर रात दस बजे तक की गतिविधियां निश्चित हैं. छात्र भी कहते हैं कि गर्मी छुट्टी का सदुपयोग इस बार हो गया.

Hazaribagh : छात्रों को मोबाइल से दूर रखा जाता है

प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को सबसे ज्यादा बाधित करने वाला मोबाइल को अलग कर दिया गया है. अपने परिवार को सूचना देने और बातचीत करने के लिए भी समय निर्धारित है. शेष समय में उनसे मोबाइल लेकर एक जगह रखा रहता है. आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था संस्कृत भारती ने की है. संस्कृत भारती देश स्तर पर संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए विविध गतिविधियां आयोजित करता रहता है.

प्रशिक्षण पाने वालो में हजारीबाग, चतरा, बोकारो, गिरिडीह, रामगढ़, रांची, गुमला, लोहरदगा, लातेहार, चाईबासा, मुजफ्फरपुर, देवघर, अरवल, जमशेदपुर, धनबाद और सिमडेगा से पहुंचे हैं. संस्कृत भारत की अपनी भाषा है. इसे देवभाषा भी कहा जाता है. निसंदेह संस्कृत भारती का यह प्रयास काबिले तारीफ है.

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