Hazaribagh: जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, वहीं झारखंड के विष्णुगढ़ प्रखंड के सुदूरवर्ती आदिवासी इलाके आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। इसका ताजा उदाहरण गोविंदपुर पंचायत के ग्राम चितरामो के गिधिनियां टोला में देखने को मिला, जहां सड़क और पुल के अभाव में एक प्रवासी मजदूर का शव परिजन खटिया पर लादकर 5 किमी दूर घर तक लाए।
Hazaribagh: एंबुलेंस पहुंची लेकिन रास्ता नहीं था
मृतक की पहचान शनिचर मराण्डी (28 वर्ष) के रूप में हुई है, जो कर्नाटक के काकीनाड़ा में प्रवासी मजदूरी करता था। उसकी मौत 28 जुलाई 2025 को हुई। रविवार को जब शव गांव पहुंचा, तो कच्ची सड़क की बदहाल स्थिति और नाले में तेज बहाव के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। मजबूरन ग्रामीणों और परिजनों ने शव को बांस के सहारे खटिया पर लादकर गांव तक पहुंचाया।
Hazaribagh: सुविधाओं का घोर अभाव
गिधिनियां, परसातरी और मोसरीतरी जैसे क्षेत्रों में करीब 600 से अधिक आदिवासी परिवार रहते हैं। आज भी इन इलाकों में पक्की सड़क, पुल, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। मानसून के समय नाले उफान पर होते हैं, जिससे इलाके का संपर्क पूरी तरह कट जाता है। ऐसी ही स्थिति में लोगों को इलाज, स्कूल या आपातकालीन सेवाएं तक नहीं मिल पातीं।
Hazaribagh: नेताओं ने उठाई आवाज
विष्णुगढ़ के उपप्रमुख एवं पंसस सरयू साव ने बताया कि इन क्षेत्रों में वर्षों से विकास योजनाएं नहीं पहुंची हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के 75 वर्षों के बाद भी हमारे आदिवासी भाई-बहन सड़क और पुल जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सरकार को अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं आदिवासी नेता रमेश हेंब्रम ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार और जिला प्रशासन से मांग की है कि इन इलाकों में तत्काल सड़क और पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाए।
हजारीबाग से शशांक शेखर की रिपोर्ट
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