Hazaribagh : हजारीबाग उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह के अध्यक्षता में हजारीबाग जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट का बैठक किया गया. बैठक में हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल, सदर विधायक प्रदीप प्रसाद, बड़कागांव विधायक रोशन लाल चौधरी, बरकट्ठा विधायक अमित यादव और मांडू विधायक तिवारी महतो बैठक में शामिल हुए. बैठक में यह बात सामने आई की DMGT फंड से पैसा खर्च किया जा रहा है वह उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है. खासकर स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र कि स्थिति खराब है.
Hazaribagh : मेडिकल कॉलेज के ओटी में बनता है चाय-सांसद मनीष जायसवाल
हजारीबाग जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट के पैसे का सदुपयोग नहीं हो रहा है. यह बातें बैठक में छनकर सामने आई है. महत्वपूर्ण बात यह है कि शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ओटी बनाया गया है जिसमें चाय बनता है. इस बात का खुलासा हजारीबाग के सांसद मनीष जायसवाल ने बैठक के दौरान की है. साथ ही बताया है कि यहां वेंटीलेटर, एक्स-रे मशीन समेत कई ऐसे उपकरण खरीदे गए हैं जिसका उपयोग नहीं हो रहा है. डीएमएफटी फंड से डॉक्टर की नियुक्ति हुई है वह डॉक्टर भी क्षेत्र में नहीं काम कर रहे हैं. उनका प्रतिनियुक्ति शहर में कर दिया गया है. जिस उद्देश्य से डॉक्टर को पैसा दिया जा रहा है वह पूरा नहीं हो रहा है.
Hazaribagh : डीएफटी फंड से करोड़ों रुपए की लागत से कार्डियक एम्बुलेंस खरीदा गया
बैठक में यह भी बात सामने आई है कि हजारीबाग में डीएफटी फंड से करोड़ों रुपए की लागत से कार्डियक एम्बुलेंस खरीदा गया था. 2 साल 6 माह से एंबुलेंस का उपयोग सामान्य एंबुलेंस के रूप में हो रहा है. क्योंकि उसमें टेक्नीशियन और ड्राइवर नहीं है. हजारीबाग सांसद ने कहा कि जब एंबुलेंस खरीदा गया था तो उसे वक्त ही इसकी तैयारी होनी चाहिए थी. उन्होंने आशा जताया हैं कि स्थिति में आवश्यक सुधार आएगी.
Hazaribagh : पैसे का दुरुपयोग हो रहा है-विधायक प्रदीप प्रसाद
हजारीबाग के सदर विधायक प्रदीप प्रसाद ने भी बैठक में कहा कि पैसे का सदुपयोग क्षेत्र में नहीं हो रहा है. बड़कागांव विधायक रोशन लाल चौधरी ने बैठक में बताया कि सबसे अधिक पैसा बड़कागांव से आता है. ऐसे में सबसे अधिक खर्च भी बड़का गांव में होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह उम्मीद जताई जा रही है कि अब स्थिति सुधरेगी.
DMGT फंड वैसे क्षेत्र जहां खनिज का उत्खनन होता है वहां से प्राप्त होता है. जिसका उपयोग प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए किया जाता है. जब जनप्रतिनिधि ही फंड की सदुपयोगिता पर सवाल उठाए तो सवाल उठना लाजिमी है.
शशांक शेखर की रिपोर्ट–
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