शिक्षक नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

वैकेंसी को 3 माह में पूरा करने का झारखंड सरकार को दिया निर्देश

रांची : हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को बची हुई वैकेंसी को

3 माह में पूरा करने का निर्देश दिया है. वहीं वैकेंसी को मेरिट लिस्ट के आधार पर

पूरा करने का भी आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति हो गई है उसे सुरक्षित रखा जाय.

नियुक्ति प्रक्रिया में आ रही सभी अड़चनें अब होगी दूर

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रवि कुमार की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने पूर्व में हो चूकी नियुक्ति को सुरक्षित मानते हुए सरकार को इस केस में याचिका दाखिल करने वाले पेटिशनर को भी नियुक्त करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई की जानकारी देते हुए अधिवक्ता ललित कुमार सिंह ने कहा कि न्यायालय के इस फैसले से नियुक्ति प्रक्रिया में आ रही सभी अड़चनें अब दूर हो गई हैं. इससे पहले बुधवार को राज्य सरकार की ओर से जानेमाने अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गये आदेश के अनुरूप नियुक्ति शुरू होने की बात कहा था.

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जानिए अधिवक्ता ने क्या कहा

बता दें कि हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016 मामले में लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही है. इस केस में सोनी कुमारी की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता ललित कुमार सिंह ने कहा कि 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को अब तक नियुक्त हुए अभ्यर्थियों के अंतिम कट ऑफ को आधार मानकर इस केस के सभी पेटिशनर की मेधा सूची तैयार कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा कि इस मामले में शेष बचे पदों पर नियुक्ति कैसे होगी उसपर सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर देकर सारी बाधा दूर कर दी है.

शिक्षक नियुक्ति मामले: जानिए क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी. 13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

रिपोर्ट: करिश्मा

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