हाय, गौरैया कहां गुम हो गयी तुम, किसने लूटा तेरा बसेरा
Bagaha–आखिर कहां विलुप्त गयी गौरैया, किसने लूटा इन नन्ही चिड़ियों का बसेरा. कौन है इनका गुनाहगार. कभी घर-आगंन में चीं.. चीं से चहकने वाली गौरैया (sparrow) अब घोषित रुप से विलुप्त होने जा रही है. मात्र दो दशक पहले तक हमारा घर-आगंन इनका बसेरा हुआ करता था.
विकास और विकास के पागलपन ने रौंदा बसेरा
लेकिन पिछले कुछ दिनों में यह स्थिति बदल गयी. विकास और विकास के इस पागलपन ने इस नन्ही सी चिड़िया का कत्ल कर दिया. अब उसकी स्मृतियों को भी मिटाने पर आतुर है. वैसे कुछ स्थानों पर यह अभी भी दिखलायी दे जाती है, लेकिन इसकी मौजदूगी से आप यह अंदाज लगा सकते हैं कि यह इलाका अभी भी अविकसित है, अभी यहां कथित बुनियादी संरचना का निर्माण नहीं हुआ है. कहने का अभिप्राय यह है कि विकास की आंधी में सबसे पहले बसेरा इनका ही उड़ता है.
80 फीसद कम गयी गौरैये की आबादी
पहले यह चिड़िया जब अपने बच्चों को चुग्गा खिलाया करती थी, तो इंसानी बच्चे इसे बड़े कौतूहल से देखते थे. लेकिन अब तो इसके दर्शन भी मुश्किल हो गए हैं और यह विलुप्त हो रही प्रजातियों की सूची में शामिल हो गयी. पक्षी विशेषज्ञों की माने तो गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है.
नहीं किया संरक्षण तब आने वाली हमारी पीढ़ियां पढ़ेगी एक थी गौरैया
यदि अभी भी इसके संरक्षण पर जोर नहीं दिया गया तो यह हमारे इतिहास का एक पन्ना बन कर रह जाएगा. हमारी आनेवाली पीढ़ियां इसका इतिहास पढ़ेगी- एक था गौरैया. ब्रिटेन की ‘Royal Society of Protection of Birds’ ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधान के आधार पर गौरैया को‘रेड लिस्ट’में डाल दिया है.
इस उदासी के बीच एक अच्छी पहल
इस उदासी के बीच एक अच्छी पहल की शुरुआत इस उदास करने वाली खबर के बीच एक अच्छी पहल भी सामने आयी है. बगहा के हरनाटांड़ के कुछ युवक गौरैया और दूसरे विलूप्त होते पक्षियों का संरक्षण के लिए मुहिम चला रहे हैं. ये युवक आसपास के वृक्षों पर दर्जनों की संख्या में टीन के घोंसले लगा रहे है, इसके साथ ही उनके खाने पीने की व्यवस्था की जा रही है. लेकिन जरुरत इन युवाओं के साथ जुड़कर इस अभियान को और गति देने की है.
रिपोर्ट- अनिल